बीती ताहि बिसार दे

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  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

शरद भोर

 मनहरण घनाक्षरी 

Sun rise

मोहक निरभ्र नभ

भास्कर विनम्र अब

अति मनभावनी ये

शरद की भोर है


पूरब मे रवि रथ

शशि भी गगन पथ 

स्वर्णिम से अंबरांत

छटा हर छोर हैं


सेम फली झूम रही

पवन हिलोर बही

मालती सुगंध भीनी

फैली चहुँ ओर है


महकी कुसुम कली

विहग विराव भली

टपकन तुहिन बिंदु

खुशी की ज्यों लोर है


लोर - अश्रु 





टिप्पणियाँ

  1. क्या बात है सुधा जी! मोहक सरस रचना।
    सुंदर वर्णन शरद आगमन के साथ मोहक रूप प्रकृति का।
    बहुत बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  2. शरद को शब्दों में बखूबी बाँधा है । भोर की छटा निराली है । सुंदर सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! क्या बात है! बहुत मोहक प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  4. महकी कुसुम कली
    विहग विराव भली
    टपकन तुहिन बिंदु
    खुशी की ज्यों लोर है
    मनमोहक सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ अक्टूबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी मेरी रचना को पाँच लिंको के आनंद मंच के लिए चयनित करने हेतु ।

      हटाएं
  6. पूरब मे रवि रथ
    शशि भी गगन पथ
    स्वर्णिम से अंबरांत
    छटा हर छोर हैं////
    बहुत सुन्दर और मनभावन अभिव्यक्ति प्रिय सुधा जी।मोहक शब्दों में सहजता से उतार कर आपने शरद की भोर को और भी मोहक बना दिया है।हार्दिक बधाई और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।♥️♥️🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद एवं आभाररेणु जी ! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ।

      हटाएं
  7. सुन्दर रचना। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ l

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर प्रस्तुति। दीपावली की शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  9. शरद की भोर को अपने मोहक शब्दों द्वारा आपने और भी म9हक बना दिया है, सुधा दी। बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  10. भोर पर इतनी सुंदर घनाक्षरी । मनमोहक, मनोहारी,मनहर वर्णन । बधाई सखी ।

    जवाब देंहटाएं

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