मनहरण घनाक्षरी
मोहक निरभ्र नभ
भास्कर विनम्र अब
अति मनभावनी ये
शरद की भोर है
पूरब मे रवि रथ
शशि भी गगन पथ
स्वर्णिम से अंबरांत
छटा हर छोर हैं
सेम फली झूम रही
पवन हिलोर बही
मालती सुगंध भीनी
फैली चहुँ ओर है
महकी कुसुम कली
विहग विराव भली
टपकन तुहिन बिंदु
खुशी की ज्यों लोर है
लोर - अश्रु
21 टिप्पणियां:
वाह ! बहुत खूब
क्या बात है सुधा जी! मोहक सरस रचना।
सुंदर वर्णन शरद आगमन के साथ मोहक रूप प्रकृति का।
बहुत बहुत सुंदर।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आदरणीय !
दिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी !
शरद को शब्दों में बखूबी बाँधा है । भोर की छटा निराली है । सुंदर सृजन ।
जी , हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका 🙏🙏।
वाह! क्या बात है! बहुत मोहक प्रस्तुति!
महकी कुसुम कली
विहग विराव भली
टपकन तुहिन बिंदु
खुशी की ज्यों लोर है
मनमोहक सृजन ।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ अक्टूबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सादर आभार एवं धन्यवाद आ.विश्वमोहन जी !
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद मीनाजी!
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी मेरी रचना को पाँच लिंको के आनंद मंच के लिए चयनित करने हेतु ।
बहुत ही सुन्दर
पूरब मे रवि रथ
शशि भी गगन पथ
स्वर्णिम से अंबरांत
छटा हर छोर हैं////
बहुत सुन्दर और मनभावन अभिव्यक्ति प्रिय सुधा जी।मोहक शब्दों में सहजता से उतार कर आपने शरद की भोर को और भी मोहक बना दिया है।हार्दिक बधाई और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।♥️♥️🌹🌹
बहुत बहुत सुन्दर रचना
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभाररेणु जी ! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार भारती जी !
सुन्दर रचना। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ l
सुंदर प्रस्तुति। दीपावली की शुभकामनाएं।
शरद की भोर को अपने मोहक शब्दों द्वारा आपने और भी म9हक बना दिया है, सुधा दी। बहुत सुंदर रचना।
भोर पर इतनी सुंदर घनाक्षरी । मनमोहक, मनोहारी,मनहर वर्णन । बधाई सखी ।
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