चित्र साभार,pixabay से... |
भुट्टे मुच्छे तान खड़े
तोरई टिण्डे हर्षाते हैं
चढ़ मचान फैला प्रतान
अब सब्ज बेल लहराते हैं
चटक चमकती धूप छुपा
ये घुमड़ घुमड़ गहराते हैं
उमस भरे मौसम में ये
राहत थोड़ी दे जाते हैं
हरियाये हैं खेत धान के,
देख इन्हें बतियाते हैं
जान इल्तजा उमड़-घुमड़
ये धूप मे वर्षा लाते हैं
श्रृंगित प्रकृति के भाल मुकुट
जब इन्द्रधनुष बन जाते हैं
नाच मयूरा ठुमक ठुमक
घन गर्जन ताल बजाते हैं
ये भादो के बादल हैं
अब बचा-खुचा बरसाते हैं
ये चंचल कजरारे मेघा
सबके मन को भाते हैं।
38 टिप्पणियां:
भादों माह की प्रकृति और उसकी सार्थकता का बहुत सुंदर वर्णन।इस सुंदर कृति के लिए बहुत बधाई आपको सुधा जी।
वर्षा के सब रंग रुपहले। सुन्दर पंक्तियाँ।
बहुत सुन्दर बहुत बढ़िया ।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद जिज्ञासा जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.प्रवीण जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक जी!
सुरंगें भादों की छटा को शब्दों में समेटता सुंदर यथार्थ सृजन सुधा जी मोहक।
वर्षा ऋतु के मनोहारी चित्रण ने भावों को और सरस कर दिया।
वाह बहुत सुंदर ऐसा लग रहा है मानों हम उन सुन्दर हरियाली भरी खेतों के बीच इन सब चीजों को देख कर सुन रहे हैं, और जी रहे हैं।
ये भादो के बादल हैं
अब बचा-खुचा बरसाते हैं
ये चंचल कजरारे मेघा
सबके मन को भाते हैं।
भादों की प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाती कविता....बहुत सुंदर...
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 08 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ये भादो के बादल हैं
अब बचा-खुचा बरसाते हैं
ये चंचल कजरारे मेघा
सबके मन को भाते हैं।
बहुत सुंदर रचना,सुधा दी।
भादो के बादल इतना सुंदर दृश्य रचते हैं ये आपकी रचना पढ़ते हुए साकार सा हो गया । बहुत सुंदर ।
सस्नेह आभार भाई!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नैनवाल जी!
बहुत खूबसूरत, सुंदर चित्रण
श्रृंगित प्रकृति के भाल मुकुट
जब इन्द्रधनुष बन जाते हैं
नाच मयूरा ठुमक ठुमक
घन गर्जन ताल बजाते हैं
बहुत खूबसूरत
तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी!
सस्नेह आभार।
सादर आभार एवं हृदयतल से धन्यवाद आ.संगीता जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार भारती जी!
अत्यंत आभार ऐवं धन्यवाद मनोज जी!
तहेदिल से धन्यवाद आ.यशोदा जी मेरी रचना को मुखरित मौन में साझा करने हेतु।
सादर आभार।
वाह! बहुत सुंदर समा बाँधा सावन के बादल ने।
भुट्टे मुच्छे तान खड़े
तोरई टिण्डे हर्षाते हैं
वाह…!
सुन्दर सृजन
आप भादो के बादल में सावन का कैसे देख लिए साहिब !!😂😂😂 लगता है शिव जी अभी तक असरकारक बने हुए हैं ...
जी, तहेदिल से धन्यवाद आपका आ.विश्वमोहन जी!पर मैंने भादो के बादलों के विषय में लिखा है जो बचा खुचा बरसा रहे हैं धूप में बारिश, इन्द्रधनुष बनना...आदि।
सादर आभार।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.उषा जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी!
हार्दिक धन्यवाद आ.सुबोध जी!
सावन के विमर्श के चलते भादों की बात कम ही होती है। आपने भादों के बादलों की चर्चा की, यह एक अनूठी बात है। कविता अच्छी है सुधा जी। अभिनंदन आपका।
हार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र जी! सही कहा सावन की घनघोर घटाएं ही विमर्श में आती हैं हमेशा.... मुझे भादो के बादलों में आकृष्ट किया है आजकल...
आपको रचना अच्छी लगी जानकर बहुत खुशी हुई
बहुत बहुत आभार आपका।
सावन के बादल तो आते हैं बरस जाती हैं ...
पर भादों के बादल भी इतना कुछ ले आते हैं ... आपकी लाजवाब रचना ने बहुत कुछ बता दिया ...
बहुत भावपूर्ण और जुदा अंदाज़ की रचना ...
गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ...
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नासवा जी!
आपको भी गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
उम्मीद करते हैं आप अच्छे होंगे
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श्रृंगित प्रकृति के भाल मुकुट
जब इन्द्रधनुष बन जाते हैं
नाच मयूरा ठुमक ठुमक
घन गर्जन ताल बजाते हैं
Abhiyakti ne Prakiti Shringar ko aur bhi sushobhit kar diya
sadhuwad sundar abhivyakti ke lie.
जी, सादर आभार।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार राणा जी!
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