सोमवार, 6 सितंबर 2021

ये भादो के बादल

Cloudy weather
चित्र साभार,pixabay से...


 भुट्टे मुच्छे तान खड़े

तोरई टिण्डे हर्षाते हैं 

चढ़ मचान फैला प्रतान 

अब सब्ज बेल लहराते हैं


चटक चमकती धूप छुपा 

ये घुमड़ घुमड़ गहराते हैं

उमस भरे मौसम में ये 

राहत थोड़ी दे जाते हैं


हरियाये हैं खेत धान के,

देख इन्हें बतियाते हैं

जान इल्तजा उमड़-घुमड़ 

ये धूप मे वर्षा लाते हैं


श्रृंगित प्रकृति के भाल मुकुट 

जब इन्द्रधनुष बन जाते हैं

नाच मयूरा ठुमक ठुमक

घन गर्जन ताल बजाते हैं


ये भादो के बादल हैं 

अब बचा-खुचा बरसाते हैं

ये चंचल कजरारे मेघा

सबके मन को भाते हैं।


38 टिप्‍पणियां:

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

भादों माह की प्रकृति और उसकी सार्थकता का बहुत सुंदर वर्णन।इस सुंदर कृति के लिए बहुत बधाई आपको सुधा जी।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वर्षा के सब रंग रुपहले। सुन्दर पंक्तियाँ।

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर बहुत बढ़िया ।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद जिज्ञासा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.प्रवीण जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक जी!

मन की वीणा ने कहा…

सुरंगें भादों की छटा को शब्दों में समेटता सुंदर यथार्थ सृजन सुधा जी मोहक।
वर्षा ऋतु के मनोहारी चित्रण ने भावों को और सरस कर दिया।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

वाह बहुत सुंदर ऐसा लग रहा है मानों हम उन सुन्दर हरियाली भरी खेतों के बीच इन सब चीजों को देख कर सुन रहे हैं, और जी रहे हैं।

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

ये भादो के बादल हैं

अब बचा-खुचा बरसाते हैं

ये चंचल कजरारे मेघा

सबके मन को भाते हैं।

भादों की प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाती कविता....बहुत सुंदर...

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 08 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Jyoti Dehliwal ने कहा…

ये भादो के बादल हैं

अब बचा-खुचा बरसाते हैं

ये चंचल कजरारे मेघा

सबके मन को भाते हैं।
बहुत सुंदर रचना,सुधा दी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

भादो के बादल इतना सुंदर दृश्य रचते हैं ये आपकी रचना पढ़ते हुए साकार सा हो गया । बहुत सुंदर ।

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार भाई!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नैनवाल जी!

Bharti Das ने कहा…

बहुत खूबसूरत, सुंदर चित्रण

MANOJ KAYAL ने कहा…

श्रृंगित प्रकृति के भाल मुकुट

जब इन्द्रधनुष बन जाते हैं

नाच मयूरा ठुमक ठुमक

घन गर्जन ताल बजाते हैं


बहुत खूबसूरत

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

सादर आभार एवं हृदयतल से धन्यवाद आ.संगीता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार भारती जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार ऐवं धन्यवाद मनोज जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.यशोदा जी मेरी रचना को मुखरित मौन में साझा करने हेतु।
सादर आभार।

विश्वमोहन ने कहा…

वाह! बहुत सुंदर समा बाँधा सावन के बादल ने।

उषा किरण ने कहा…

भुट्टे मुच्छे तान खड़े

तोरई टिण्डे हर्षाते हैं
वाह…!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सृजन

Subodh Sinha ने कहा…

आप भादो के बादल में सावन का कैसे देख लिए साहिब !!😂😂😂 लगता है शिव जी अभी तक असरकारक बने हुए हैं ...

Sudha Devrani ने कहा…

जी, तहेदिल से धन्यवाद आपका आ.विश्वमोहन जी!पर मैंने भादो के बादलों के विषय में लिखा है जो बचा खुचा बरसा रहे हैं धूप में बारिश, इन्द्रधनुष बनना...आदि।
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.उषा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ.सुबोध जी!

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

सावन के विमर्श के चलते भादों की बात कम ही होती है। आपने भादों के बादलों की चर्चा की, यह एक अनूठी बात है। कविता अच्छी है सुधा जी। अभिनंदन आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र जी! सही कहा सावन की घनघोर घटाएं ही विमर्श में आती हैं हमेशा.... मुझे भादो के बादलों में आकृष्ट किया है आजकल...
आपको रचना अच्छी लगी जानकर बहुत खुशी हुई
बहुत बहुत आभार आपका।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सावन के बादल तो आते हैं बरस जाती हैं ...
पर भादों के बादल भी इतना कुछ ले आते हैं ... आपकी लाजवाब रचना ने बहुत कुछ बता दिया ...
बहुत भावपूर्ण और जुदा अंदाज़ की रचना ...
गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ...

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नासवा जी!
आपको भी गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

Unknown ने कहा…

उम्मीद करते हैं आप अच्छे होंगे

हमारी नयी पोर्टल Pub Dials में आपका स्वागत हैं
आप इसमें अपनी प्रोफाइल बना के अपनी कविता , कहानी प्रकाशित कर सकते हैं, फ्रेंड बना सकते हैं, एक दूसरे की पोस्ट पे कमेंट भी कर सकते हैं,
Create your profile now : Pub Dials

हिंदी शायरी ने कहा…

अगर आप और हिंदी शायरी रिलेटेड आर्टिकल्स पढ़ना चाहते है तो आपका हमारे वेबसाइट :

https://mahakaalhindistatus.blogspot.com

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

श्रृंगित प्रकृति के भाल मुकुट

जब इन्द्रधनुष बन जाते हैं

नाच मयूरा ठुमक ठुमक

घन गर्जन ताल बजाते हैं

Abhiyakti ne Prakiti Shringar ko aur bhi sushobhit kar diya
sadhuwad sundar abhivyakti ke lie.

Sudha Devrani ने कहा…

जी, सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार राणा जी!

हो सके तो समभाव रहें

जीवन की धारा के बीचों-बीच बहते चले गये ।  कभी किनारे की चाहना ही न की ।  बतेरे किनारे भाये नजरों को , लुभाए भी मन को ,  पर रुके नहीं कहीं, ब...