ये भादो के बादल
चित्र साभार,pixabay से... |
भुट्टे मुच्छे तान खड़े
तोरई टिण्डे हर्षाते हैं
चढ़ मचान फैला प्रतान
अब सब्ज बेल लहराते हैं
चटक चमकती धूप छुपा
ये घुमड़ घुमड़ गहराते हैं
उमस भरे मौसम में ये
राहत थोड़ी दे जाते हैं
हरियाये हैं खेत धान के,
देख इन्हें बतियाते हैं
जान इल्तजा उमड़-घुमड़
ये धूप मे वर्षा लाते हैं
श्रृंगित प्रकृति के भाल मुकुट
जब इन्द्रधनुष बन जाते हैं
नाच मयूरा ठुमक ठुमक
घन गर्जन ताल बजाते हैं
ये भादो के बादल हैं
अब बचा-खुचा बरसाते हैं
ये चंचल कजरारे मेघा
सबके मन को भाते हैं।
टिप्पणियाँ
वर्षा ऋतु के मनोहारी चित्रण ने भावों को और सरस कर दिया।
अब बचा-खुचा बरसाते हैं
ये चंचल कजरारे मेघा
सबके मन को भाते हैं।
भादों की प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाती कविता....बहुत सुंदर...
अब बचा-खुचा बरसाते हैं
ये चंचल कजरारे मेघा
सबके मन को भाते हैं।
बहुत सुंदर रचना,सुधा दी।
जब इन्द्रधनुष बन जाते हैं
नाच मयूरा ठुमक ठुमक
घन गर्जन ताल बजाते हैं
बहुत खूबसूरत
सस्नेह आभार।
सादर आभार।
तोरई टिण्डे हर्षाते हैं
वाह…!
सादर आभार।
आपको रचना अच्छी लगी जानकर बहुत खुशी हुई
बहुत बहुत आभार आपका।
पर भादों के बादल भी इतना कुछ ले आते हैं ... आपकी लाजवाब रचना ने बहुत कुछ बता दिया ...
बहुत भावपूर्ण और जुदा अंदाज़ की रचना ...
गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ...
आपको भी गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
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जब इन्द्रधनुष बन जाते हैं
नाच मयूरा ठुमक ठुमक
घन गर्जन ताल बजाते हैं
Abhiyakti ne Prakiti Shringar ko aur bhi sushobhit kar diya
sadhuwad sundar abhivyakti ke lie.