मुझे बड़ा नहीं होना
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"अच्छा जी ! तो हाय हैलो करोगे या गुड मॉर्निंग, गुड नाइट वगैरह वगैरह ? सब चलेगा छोटे साहब! आखिर हम मॉडर्न विक्की के सुपर मॉडर्न दादू जो हैं । और हम तुम्हें हर हाल में वही आशीर्वाद देंगे जो हमेशा देते हैं....खुश रहो और जल्दी से बड़े हो जाओ" !
"ओह्ह! शिट् ! दादू! फिर से ? (चिढ़कर अपने नन्हें हाथों से सोफे पर मुक्का मारते हुए) प्लीज दादू चेंज कीजिए न अपना आशीर्वाद! स्पैशिली सैकिंड वाला "!
"क्या ? सैकिंड वाला आशीर्वाद ! चेंज करूँ ? क्यों? बड़ा नहीं होना क्या" ? दादू ठठाकर हँस दिये।
"नो दादू ! सच्ची में बड़ा नहीं होना । आप इसकी जगह कोई और आशीर्वाद दीजिए न , कोई भी" ।
विक्की की बात सुनकर दादू ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।
"पर क्यों ? कारण बतायेंगे हमारे छोटे साहब" ?
"दादू! मैं बड़ा हुआ तो मम्मी-पापा बूढ़े जायेंगे न, आपकी तरह। सोचके डर लगता है मुझे ! इसीलिए दादू! मुझे बड़ा होने का आशीर्वाद मत दीजिए प्लीज़! नहीं होना मुझे बड़ा"।
दादा जी के सामने खड़े होकर आँखों में आँखें डाल समझाते हुए विक्की ने बड़ी गम्भीरता से कहा तो दादा जी भी निःशब्द हो गये ।
टिप्पणियाँ
सुंदर प्रेरक लघुकथा ।
मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम-सा बच्चा
बड़ों की देखकर दुनिया बड़ा होने से डरता है
भावुक करते भाव ... सोचने की बात ...
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।