मुझे बड़ा नहीं होना
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
चित्र साभार shutterstock से... |
"अच्छा जी ! तो हाय हैलो करोगे या गुड मॉर्निंग, गुड नाइट वगैरह वगैरह ? सब चलेगा छोटे साहब! आखिर हम मॉडर्न विक्की के सुपर मॉडर्न दादू जो हैं । और हम तुम्हें हर हाल में वही आशीर्वाद देंगे जो हमेशा देते हैं....खुश रहो और जल्दी से बड़े हो जाओ" !
"ओह्ह! शिट् ! दादू! फिर से ? (चिढ़कर अपने नन्हें हाथों से सोफे पर मुक्का मारते हुए) प्लीज दादू चेंज कीजिए न अपना आशीर्वाद! स्पैशिली सैकिंड वाला "!
"क्या ? सैकिंड वाला आशीर्वाद ! चेंज करूँ ? क्यों? बड़ा नहीं होना क्या" ? दादू ठठाकर हँस दिये।
"नो दादू ! सच्ची में बड़ा नहीं होना । आप इसकी जगह कोई और आशीर्वाद दीजिए न , कोई भी" ।
विक्की की बात सुनकर दादू ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।
"पर क्यों ? कारण बतायेंगे हमारे छोटे साहब" ?
"दादू! मैं बड़ा हुआ तो मम्मी-पापा बूढ़े जायेंगे न, आपकी तरह। सोचके डर लगता है मुझे ! इसीलिए दादू! मुझे बड़ा होने का आशीर्वाद मत दीजिए प्लीज़! नहीं होना मुझे बड़ा"।
दादा जी के सामने खड़े होकर आँखों में आँखें डाल समझाते हुए विक्की ने बड़ी गम्भीरता से कहा तो दादा जी भी निःशब्द हो गये ।
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
वाह ..... बच्चे भी न जाने क्या क्या सोच सकते हैं। मन को छू गयी ये लघुकथा ।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी! आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
हटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी! मेरी रचना पाँच लिंको का आनंद मंच पर चयन करने हेतु।
जवाब देंहटाएंबदलते समाज और बदलती सोच को दर्शाती लघुकथा । बच्चे बहुत स्मार्ट हो गए हैं । उनकी सकारात्मक सोच समाज में,परिवार में एक स्वस्थ वातावरण का विकास करती है ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रेरक लघुकथा ।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंबहुत सुन्दर और रोचक भी ।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद आ.आलोक जी!
हटाएंबहुत सुंदर लघुकथा।
जवाब देंहटाएंऐसी संवेदनशील बातें निर्दोष बालक ही सोच सकते हैं क्योंकि वे मन के सच्चे होते हैं। राजेश रेड्डी साहब की एक ग़ज़ल का एक शेर है:
जवाब देंहटाएंमेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम-सा बच्चा
बड़ों की देखकर दुनिया बड़ा होने से डरता है
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.जितेन्द्र जी! अनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया हेतु।आ.रेड्डी साहब की खूबसूरत गजल साझा कर आपने मेरे सृजन को सार्थक कर दिया....दिल से शुक्रिया।
हटाएंबच्चों में निश्छल प्रेम होता है ...
जवाब देंहटाएंभावुक करते भाव ... सोचने की बात ...
जी, अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।
हटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका।
हटाएंबहुत ही सुंदर लघु कथा ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.हर्ष जी!
हटाएंविक्की की बातों से मैं भी सहमत हूं, मुझे भी बहुत डर लगता है बुढ़ापे से, बच्चे कहते हैं कि- हमें आप सभी के उम्र तक नहीं पहुंचना, बहुत ही सुन्दर लघुकथा सुधा जी, 🙏
जवाब देंहटाएंसही कहा कामिनी जी!तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार।
हटाएंसुन्दर लघु कथा
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार मनोज जी!
हटाएंसचमुच निःशब्द कर दिया बच्चे की बात ने ! याद आ गया कि अपने दादाजी की मृत्यु देखने के बाद मेरा बेटा बचपन में कई बार मुझसे लिपटकर कहता था, "मम्मी, आप कभी मरना मत !"
जवाब देंहटाएंजी, मीना जी बच्चे डर जाते हैं ऐसी घटनाओं से...
हटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
अपनों से दूर होना या निःशक्त होना बच्चों को बहुत सालता है ।बहुत सुन्दर और हृदयस्पर्शी लघुकथा ।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार मीना जी!
हटाएं