सुबह की ताजी हवा थी महकी
कोयल कुहू - कुहू बोल रही थी....
घर के आँगन में छोटी सी सोनल
अलसाई आँखें खोल रही थी....
चीं-चीं कर कुछ नन्ही चिड़ियां
सोनल के निकट आई......
सूखी चोंच उदास थी आँखें
धीरे से वे फुसफुसाई....
सुनो सखी ! कुछ मदद करोगी ?
छत पर थोड़ा नीर रखोगी ?
बढ़ रही अब तपिश धरा पर,
सूख गये हैं सब नदी-नाले
प्यासे हैं पानी को तरसते,
हम अम्बर में उड़ने वाले.....
तुम पंखे ,कूलर, ए.सी. में रहते
हम सूरज दादा का गुस्सा सहते
झुलस रहे हैं, हमें बचालो !
छत पर थोड़ा पानी तो डालो !!
जेठ जो आया तपिश बढ गयी
बिन पानी प्यासी हम रह गयी....
सुनकर सोनल को तरस आ गया
चिड़ियों का दुख दिल में छा गया
अब सोनल सुबह सवेरे उठकर
चौड़े बर्तन में पानी भरकर,
साथ में दाना छत पर रखती है....
चिड़ियों का दुख कम करती है ।
मित्रों से भी विनय करती सोनल
आप भी रखना छत पर थोड़ा जल ।।
चित्र: साभार गूगल से...
21 टिप्पणियां:
मित्रों से भी विनय करती सोनल
आप भी रखना छत पर थोड़ा जल ।
प्रेरित करती हुई पंक्तियाँ।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 24 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हृदयतल से आभार संजय जी !
बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी !
सादर आभार....।
सुधा जी आपकी लिखी रचना को मेरी धरोहर ब्लॉग पर 24 फरवरी 2020 को साझा की गई है
सदर
मेरी धरोहर
बहुत ही सुंदर व प्यारी सी रचना, जो पाठकों को मंत्रमुग्ध कर रही है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
सहृदय धन्यवाद संजय जी !
सादर आभार।
हार्दिक धन्यवाद, पुरुषोत्तम जी !
सादर आभार।
बहुत प्रेरणा दायक बाल कविता।
बच्चों के साथ बड़े भी इन संवेदनाओं पर ध्यान रखें तो सब कुछ अच्छा हो सकता है ।
सुंदर सृजन सुधा जी।
तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी!
सादर आभार।
बहुत प्यारी रचना । नन्हीं सोनल के माध्यम से अच्छी प्रेरणा देती सुंदर रचना ।
सहृदय धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी!
बहुत सुंदर प्रेरणादायक रचना, सुधा दी।
सहृदय धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी!
प्रकृति की व्यथा
चिड़िये की कथा।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी!
वाह!बहुत खूबसूरत ,प्रेरणादायक सृजन सुधा जी ।
सहृदय धन्यवाद एवं आभार शुभा जी!
बहुत अच्छी लगी,अच्छी बातें सिखाती यह कविता ।
सुधा जी,अभिनंदन ।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नुपुरं जी!
बहुत खूबसूरत
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