भ्रात की सजी कलाई (रोला छंद)
सावन पावन मास , बहन है पीहर आई ।
राखी लाई साथ, भ्रात की सजी कलाई ।।
टीका करती भाल, मधुर मिष्ठान खिलाती ।
देकर शुभ आशीष, बहन अतिशय हर्षाती ।।
सावन का त्यौहार, बहन राखी ले आयी ।
अति पावन यह रीत, नेह से खूब निभाई ।।
तिलक लगाकर माथ, मधुर मिष्ठान्न खिलाया ।
दिया प्रेम उपहार , भ्रात का मन हर्षाया ।।
राखी का त्योहार, बहन है राह ताकती ।
थाल सजाकर आज, मुदित मन द्वार झाँकती ।।
आया भाई द्वार, बहन अतिशय हर्षायी ।
बाँधी रेशम डोर, भ्रात की सजी कलाई ।।
सादर अभिनंदन आपका 🙏
पढ़िए राखी पर मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर
बहुत ही सुन्दर सामयिक छंद हैं ... राखी की बहुत बहुत बधाई ..
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार एवं धन्यवाद नासवा जी ! आपको भी राखी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
हटाएं