जब से खुद को खुद सा ही स्वीकार किया
हाँ औरों से अलग हूँ, खुद से प्यार किया ।
अपने होने के कारण को जब जाना ।
तेरी रचनात्मकता को कुछ पहचाना ।
जाना मेरे आस-पास चहुँ ओर है तू।
दिखे जहाँ कमजोर वही दृढ़ छोर है तू।
ना चाहा फिर बल इतना मैं कभी पाऊँ ।
तेरे होने के एहसास को खो जाऊँ ।
दुनिया ने जब जब भी नफरत से टेरा ।
तूने लाड दे आकर आँचल से घेरा ।
तेरी पनाह में जो सुख मैंने पाया है ।
किसके पास मेरा सा ये सरमाया है ।
दुनिया ढूँढ़े मंदिर मस्जिद जा जा के,
ना देखे, तू पास मिरे ही आया है ।
तेरी प्रणाली को लीला सब कहते हैं ।
शक्ति-प्रदाता ! निर्बल के बल रहते हैं ।
अब न कभी अपनी कमियों का रोना है ।
जिसमें अपना भला है, बस वो होना है ।
कुछ ऐसा विश्वास हृदय में आया है ।
माया प्रभु की कहाँ समझ कोई पाया है ।
सरमाया = धन - दौलत, पूँजी
30 टिप्पणियां:
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (2-8-22} को "रक्षाबंधन पर सैनिक भाईयों के नाम एक पाती"(चर्चा अंक--4509)
पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु ।
यही विश्वास जीवन सम्बल है...सुन्दर रचना...👏👏👏
अब न कभी अपनी कमियों का रोना है ।
जिसमें अपना भला है, बस वो होना है ।
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क्या बात है! बहुत खूब। सब प्रभु की माया है जिसके कौन समझ पाया है। वाह। सादर।
सुधा दी, जब ऐसी निश्चिंतता मन मे आ जाती है, तो जीवन बहुत ही सरल हो जाता है। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
बहुत सुंदर आत्म शक्ति को स्वीकार कर स्वयं का मूल्यांकन कर लें तो आत्मविश्वास अपनी ऊँचाईंयों पर होता है ।
बहुत बहुत सुंदर सृजन सुधा जी।
जी ,अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार वीरेंद्र जी !
जी, ज्योति जी !
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
जी आ. कुसुम जी ! बिल्कुलसही कहा आपने।
दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
आस्था और विश्वास में अपार शक्ति होती है । जो कुछ भी होता है ऐसा लगता है कि सब पूर्व निश्चित है । सुंदर रचना ।
यह विश्वास यदि दृढ़ हो, तो जीवन की नौका पार लगाने में आसानी होती है। सुंदर रचना।
बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
जी , सादर आभार एवं धन्यवाद आपका ।
जी, हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
बहुत बढ़िया !
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ अगस्त २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
कुछ ऐसा विश्वास हृदय में आया है ।
माया प्रभु की कहाँ समझ कोई पाया है ।
बहुत खूब,विश्वास ही तो ओ शक्ति है जो हमें हर परिस्थिति में खड़े रख सकती है।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद जेन्नी जी !
सादर आभार एवं धन्यवाद आदरणीय।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय श्वेता जी ,मेरी रचना को साझा करने हेतु ।
सकारात्मक भावों से ओतप्रोत अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति । अत्यंत सुन्दर सृजन सुधा जी!
जीवन के झंझावातों में संबल देती रचना
सादर
आशा और विश्वास जगाती सुंदर रचना ।
खूबसूरत आशावादी रचना।
वाह। बहुत सुंदर❤️🌻
जीवन को समझना भी एक कला है । जिससे जीवन को सरल बनाया जा सकता है । आपने रचना के माध्यम से बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया । हार्दिक शुभकामनाएं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
पानीपत - हरियाणा
कुछ ऐसा विश्वास हृदय में आया है ।
माया प्रभु की कहाँ समझ कोई पाया है ।
जिसने पुर्ण समर्पण किया उसी ने उस परम शक्ति को जाना है, मगर परिस्थितियों कभी कभी तोड़ देती है सुधा जी और विश्वास डगमगा जाता है। बहुत ही सुन्दर सृजन 🙏
माया का अबूझ खेल ही तो यह दुनिया है। सुंदर रचना आशा की सुधा से सिक्त!
मन में विश्वास हो तो पत्थर भी ईश्वर तुल्य नज़र आते हैं।विश्वास की भावना ही लौकिक और आलौकिक रिश्तों से जोड़े रखती हैं।भावपूर्ण रचना जिसमें अरूप प्रणेता के प्रति असीम श्रद्धा झलक रही है।
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