सोमवार, 1 अगस्त 2022

जिसमें अपना भला है , बस वो होना है

Poem nayisoch


जब से खुद को खुद सा ही स्वीकार किया

हाँ औरों से अलग हूँ, खुद से प्यार किया ।


अपने होने के कारण को जब जाना ।

तेरी रचनात्मकता को कुछ पहचाना ।


जाना मेरे आस-पास चहुँ ओर है तू।

दिखे जहाँ कमजोर वही दृढ़ छोर है तू।


ना चाहा फिर बल इतना मैं कभी पाऊँ ।

तेरे होने के एहसास को खो जाऊँ ।


दुनिया ने जब जब भी नफरत से टेरा ।

तूने लाड दे आकर आँचल से घेरा ।


तेरी पनाह में जो सुख मैंने पाया है  ।

किसके पास मेरा सा ये सरमाया है  ।


दुनिया ढूँढ़े मंदिर मस्जिद जा जा के,

ना देखे,  तू पास मिरे ही आया है ।


तेरी प्रणाली को लीला सब कहते हैं ।

शक्ति-प्रदाता ! निर्बल के बल रहते हैं ।


अब न कभी अपनी कमियों का रोना है ।

जिसमें अपना भला है, बस वो होना है ।


कुछ ऐसा विश्वास हृदय में आया है ।

माया प्रभु की कहाँ समझ कोई पाया है ।


सरमाया = धन - दौलत, पूँजी 







30 टिप्‍पणियां:

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (2-8-22} को "रक्षाबंधन पर सैनिक भाईयों के नाम एक पाती"(चर्चा अंक--4509)
पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु ।

Vaanbhatt ने कहा…

यही विश्वास जीवन सम्बल है...सुन्दर रचना...👏👏👏

Vocal Baba ने कहा…

अब न कभी अपनी कमियों का रोना है ।

जिसमें अपना भला है, बस वो होना है ।
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क्या बात है! बहुत खूब। सब प्रभु की माया है जिसके कौन समझ पाया है। वाह। सादर।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी, जब ऐसी निश्चिंतता मन मे आ जाती है, तो जीवन बहुत ही सरल हो जाता है। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर आत्म शक्ति को स्वीकार कर स्वयं का मूल्यांकन कर लें तो आत्मविश्वास अपनी ऊँचाईंयों पर होता है ।
बहुत बहुत सुंदर सृजन सुधा जी।

Sudha Devrani ने कहा…

जी ,अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार वीरेंद्र जी !

Sudha Devrani ने कहा…

जी, ज्योति जी !
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।

Sudha Devrani ने कहा…

जी आ. कुसुम जी ! बिल्कुलसही कहा आपने।
दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आस्था और विश्वास में अपार शक्ति होती है । जो कुछ भी होता है ऐसा लगता है कि सब पूर्व निश्चित है । सुंदर रचना ।

Dr.Rashmi Thakur ने कहा…

यह विश्वास यदि दृढ़ हो, तो जीवन की नौका पार लगाने में आसानी होती है। सुंदर रचना।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना, बधाई.

Sudha Devrani ने कहा…

जी , सादर आभार एवं धन्यवाद आपका ।

Sudha Devrani ने कहा…

जी, हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

Satish Saxena ने कहा…

बहुत बढ़िया !

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ अगस्त २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

कुछ ऐसा विश्वास हृदय में आया है ।

माया प्रभु की कहाँ समझ कोई पाया है ।

बहुत खूब,विश्वास ही तो ओ शक्ति है जो हमें हर परिस्थिति में खड़े रख सकती है।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद जेन्नी जी !

Sudha Devrani ने कहा…

सादर आभार एवं धन्यवाद आदरणीय।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय श्वेता जी ,मेरी रचना को साझा करने हेतु ।

Meena Bhardwaj ने कहा…

सकारात्मक भावों से ओतप्रोत अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति । अत्यंत सुन्दर सृजन सुधा जी!

अपर्णा वाजपेयी ने कहा…

जीवन के झंझावातों में संबल देती रचना
सादर

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

आशा और विश्वास जगाती सुंदर रचना ।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

खूबसूरत आशावादी रचना।

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

वाह। बहुत सुंदर❤️🌻

Bijender Gemini ने कहा…

जीवन को समझना भी एक कला है । जिससे जीवन को सरल बनाया जा सकता है । आपने रचना के माध्यम से बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया । हार्दिक शुभकामनाएं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
पानीपत - हरियाणा

Kamini Sinha ने कहा…

कुछ ऐसा विश्वास हृदय में आया है ।

माया प्रभु की कहाँ समझ कोई पाया है ।

जिसने पुर्ण समर्पण किया उसी ने उस परम शक्ति को जाना है, मगर परिस्थितियों कभी कभी तोड़ देती है सुधा जी और विश्वास डगमगा जाता है। बहुत ही सुन्दर सृजन 🙏

विश्वमोहन ने कहा…

माया का अबूझ खेल ही तो यह दुनिया है। सुंदर रचना आशा की सुधा से सिक्त!

रेणु ने कहा…

मन में विश्वास हो तो पत्थर भी ईश्वर तुल्य नज़र आते हैं।विश्वास की भावना ही लौकिक और आलौकिक रिश्तों से जोड़े रखती हैं।भावपूर्ण रचना जिसमें अरूप प्रणेता के प्रति असीम श्रद्धा झलक रही है।

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