सेवानिवृत्ति ; पत्नी के भावोद्गार
चित्र साभार pixabay.com से |
रिटायरमेंट करीब होने पर जब पति ने पत्नी के मन की जाननी चाही तो एक पत्नी के भावोद्गार....
जब से प्रेम किया
तभी से सह रहे हैं विरह वेदना
तभी तो विवाहोपरांत युवावस्था में ही
बूढ़े हो जाने की चाहना की।
बुढ़ापे की चाहना !..?
हाँ ! बुढ़ापे की चाहना !
जानते हो क्यों ?
क्योंकि हमारे बुढापे में ही तो
समाप्त होगी न हमारी
ये विरह वेदना !!...
आपकी सेवानिवृत्त होने पर ।
आज यहाँ कल वहाँ
आपका भी न......
कुछ कह भी तो न पायी आपसे
क्योंकि जानती हूँ
आप भी ऐसा कहाँ चाहते कभी
बस मजबूरी जो थी।
प्रेम तो अथाह रहा दूरियों में भी
परन्तु फिर भी
कुछ अधूरा सा रहा रिश्ता हमारा
लड़ने-झगड़ने, रूठने मनाने का
वक्त जो न मिल पाया
है न....
चन्द छुट्टियाँ आपकी
घर गृहस्थी की तमाम उलझनें
बड़ी समझदारी से सुलझाते हम
प्यार-प्यार में दूर हो गये एक दूसरे से
बिन लड़े-झगडे़ बिन रूठे-मनाये ही
हमेशा...
मानते तो हैं न आप भी ।
जानती हूँ सेवानिवृत्ति से
आप तो खुश ना होंगे
सभी की तरह
पर मैं इन्तजार में हूँ
उस दिन के
सदा-सदा से.....
बस फिर साथ होंगे हम
हर-लम्हा, हर-पल
बहुत हुआ प्यार और समझदारी
अब नासमझी का वक्त आया है
रूठने मनाने का वक्त
प्रेम की इंतहा का वक्त
मंजूर तो है न....
आपको भी !!
टिप्पणियाँ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(१६-१२ -२०२१) को
'पूर्णचंद्र का अंतिम प्रहर '(चर्चा अंक-४२८०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
इस सेवानिवृत्ति के सबके अनुभव शायद अलग अलग होते होंगे । रचना अच्छी है ।
बस मैं खुद को जुड़ा हुआ नहीं पा रही इस भाव से।
चन्द छुट्टियाँ आपकी
घर गृहस्थी की तमाम उलझनें
बड़ी समझदारी से सुलझाते हम
प्यार-प्यार में दूर हो गये एक दूसरे से
बिन लड़े-झगडे़ बिन रूठे-मनाये ही
हमेशा...
हाँ जो साथ रहते हैं उनके भाव जरूर अलग होंगे....शायद....
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ दिसंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत अच्छा लगा।
शुभकामनाएँ
सस्नेह आभार।
कामिनी जी सेवानिवृत्ति हर किसी के लिए सुखद हो ये भी जरूरी नहीं कई बार कुछ एक मानसिक रूप से कमतर महसूस करते हैं अपने आपको...फिर पत्नी और घर वाले क्या सोचते हैं कहीं वे बोझ तो नहीं बन रहे किसी के लिए ..ये जानने के लिए भी ऐसे सवाल कर बैठते हैं...
बस इसी भावना को दूर करने और अपने पति को हर स्थिति में स्पेशल फील कराने के लिए भी पत्नियाँ ऐसा कह सकती हैं
है न...मैं सोचती हूँ ...शायद।
सादर..
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।
रोचक और अलग अंदाज़ से सेवान्वृति की कामना वो भी प्रेम को मध्य ले कर ... बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति है ...
प्रेम हर समय प्रेम रहता है ...
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नासवा जी!
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
बस फिर साथ होंगे हम
हर-लम्हा, हर-पल
बहुत हुआ प्यार और समझदारी
अब नासमझी का वक्त आया है
रूठने मनाने का वक्त
प्रेम की इंतहा का वक्त
मंजूर तो है न....
आपको भी !!मन को छूते,बहुत ही सुंदर भाव ।