बुधवार, 15 दिसंबर 2021

सेवानिवृत्ति ; पत्नी के भावोद्गार

Word origin
चित्र साभार pixabay.com से


रिटायरमेंट करीब होने पर जब पति ने पत्नी के मन की जाननी चाही तो एक पत्नी के भावोद्गार....


जब से प्रेम किया

तभी से सह रहे हैं विरह वेदना

तभी तो विवाहोपरांत युवावस्था में ही

बूढ़े हो जाने की चाहना की।


बुढ़ापे की चाहना !..?


हाँ ! बुढ़ापे की चाहना !

जानते हो क्यों ?

क्योंकि हमारे बुढापे में ही तो

समाप्त होगी न हमारी 

ये विरह वेदना !!...

आपकी सेवानिवृत्त होने पर ।


आज यहाँ कल वहाँ

आपका भी न......


कुछ कह भी तो न पायी आपसे

क्योंकि जानती हूँ 

आप भी ऐसा कहाँ चाहते कभी

बस मजबूरी जो थी।


प्रेम तो अथाह रहा दूरियों में भी 

परन्तु फिर भी 

कुछ अधूरा सा रहा रिश्ता हमारा

लड़ने-झगड़ने, रूठने मनाने का

वक्त जो न मिल पाया

है न....



चन्द छुट्टियाँ आपकी 

घर गृहस्थी की तमाम उलझनें

बड़ी समझदारी से सुलझाते हम

प्यार-प्यार में दूर हो गये एक दूसरे से

बिन लड़े-झगडे़ बिन रूठे-मनाये ही

हमेशा...

मानते तो हैं न आप भी ।


जानती हूँ सेवानिवृत्ति से 

आप तो खुश ना होंगे 

सभी की तरह

पर मैं इन्तजार में हूँ 

उस दिन के

सदा-सदा से.....



बस फिर साथ होंगे हम 

हर-लम्हा, हर-पल

बहुत हुआ प्यार और समझदारी 

अब नासमझी का वक्त आया है

रूठने मनाने का वक्त 

प्रेम की इंतहा का वक्त

मंजूर तो है न....

आपको भी !!




31 टिप्‍पणियां:

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(१६-१२ -२०२१) को
'पूर्णचंद्र का अंतिम प्रहर '(चर्चा अंक-४२८०)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ये भाव उनके तो हो सकते जो दूर रह कर नौकरी करते हैं।
इस सेवानिवृत्ति के सबके अनुभव शायद अलग अलग होते होंगे । रचना अच्छी है ।
बस मैं खुद को जुड़ा हुआ नहीं पा रही इस भाव से।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद प्रिय अनीता जी मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

जी आ.संगीता जी! सही कहा आपने ये भाव उन्हीं के हैं जो एक दूसरे से महीनों दूर रहे या साल में सिर्फ दो महीने की छुट्टी आते हैं जैसे सैनिक....

चन्द छुट्टियाँ आपकी
घर गृहस्थी की तमाम उलझनें
बड़ी समझदारी से सुलझाते हम
प्यार-प्यार में दूर हो गये एक दूसरे से
बिन लड़े-झगडे़ बिन रूठे-मनाये ही
हमेशा...
हाँ जो साथ रहते हैं उनके भाव जरूर अलग होंगे....शायद....
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

Anuradha chauhan ने कहा…

बेहतरीन रचना।

Alaknanda Singh ने कहा…

वाह सुधा जी, क्‍या ही सुंदर ढंग से समझाई आपने "प्रेम की इंतहा" , प्रेम पाने के ल‍िए र‍िटायरमेंट को भी अवसर मानने की अभ‍िलाषा....वाह

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ दिसंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

Pammi singh'tripti' ने कहा…

प्रेम की अभिलाषा हर उम्र ओ दौर में..ऐसा भी होता है?
बहुत अच्छा लगा।
शुभकामनाएँ

Kamini Sinha ने कहा…

जीवन साथी की सबसे ज्यादा जरुरत तो बुढ़ापे में ही होती है और सच्चा प्यार भी तभी उजागर होता है, ये सत्य है। आजीवन पति से दूर रहने वाली पत्नी के मन के भावों को बहुत ही सरल शब्दों में व्यक्त किया है आपने सुथा जी,सादर नमन

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद सखी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार अलकनंदा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद प्रिय श्वेता जी!मेरी रचना को पाँच लिंको के आनंद मंच पर साझा करने हेतु।
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

जी, पम्मी जी! अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

जी, कामिनी जी समर्थन हेतु तहेदिल से धन्यवाद आपका...
कामिनी जी सेवानिवृत्ति हर किसी के लिए सुखद हो ये भी जरूरी नहीं कई बार कुछ एक मानसिक रूप से कमतर महसूस करते हैं अपने आपको...फिर पत्नी और घर वाले क्या सोचते हैं कहीं वे बोझ तो नहीं बन रहे किसी के लिए ..ये जानने के लिए भी ऐसे सवाल कर बैठते हैं...
बस इसी भावना को दूर करने और अपने पति को हर स्थिति में स्पेशल फील कराने के लिए भी पत्नियाँ ऐसा कह सकती हैं
है न...मैं सोचती हूँ ...शायद।

Bharti Das ने कहा…

वाह लाजबाव अभिव्यक्ति

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सुन्दर कल्पना

yashoda Agrawal ने कहा…

जीवन साथी की सबसे ज्यादा जरुरत तो बुढ़ापे में ही होती है और सच्चा प्यार भी तभी उजागर होता है,
सादर..

Manisha Goswami ने कहा…

बहूत ही खूबसूरत सृजन...

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद भारती जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ. विभा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

जी, आ.यशोदा जी! बिल्कुल सही कहा आपने।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार प्रिय मनीषा जी!

Kamini Sinha ने कहा…

यकीनन.. मेरी समझ से भी ये जरूरी है।🙏

रेणु ने कहा…

😀😀👌👌 बहुत खूब लिखा प्रिय सुधा जी। सरकारी सेवारत पति के सेवानिवृत होने की कामना! वो भी पत्नी द्वारा बहुत। रोचक है। पत्नी की व्यथा उल्लेखनीय है। दिवास्वप्न मानव स्वभाव है। और फिर बुढ़ापा मुक्ति का द्वार है। पर बुढ़ापे की देहरी पर युवा स्वप्न पूरे होंगे या नहीं समयाधीन है। एक रोचक रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये भी प्रेम की अभिव्यक्ति है पर अनोखी अभिव्यक्ति ...
रोचक और अलग अंदाज़ से सेवान्वृति की कामना वो भी प्रेम को मध्य ले कर ... बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति है ...
प्रेम हर समय प्रेम रहता है ...

Sudha Devrani ने कहा…

जी, रेणु जी सही कहा आपने बुढ़ापे की देहरी पर युवा स्वप्न पूरे होंगे या नहीं समयाधीन है...।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

प्रेम हर समय प्रेम रहता है...सारगर्भित पंक्ति।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नासवा जी!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी लिखी कोई रचना सोमवार. 20 दिसंबर 2021 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

संगीता स्वरूप

जिज्ञासा सिंह ने कहा…


बस फिर साथ होंगे हम

हर-लम्हा, हर-पल

बहुत हुआ प्यार और समझदारी

अब नासमझी का वक्त आया है

रूठने मनाने का वक्त

प्रेम की इंतहा का वक्त

मंजूर तो है न....

आपको भी !!मन को छूते,बहुत ही सुंदर भाव ।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

जी ,अत्यंत आभार आपका ...🙏🙏🙏🙏

हो सके तो समभाव रहें

जीवन की धारा के बीचों-बीच बहते चले गये ।  कभी किनारे की चाहना ही न की ।  बतेरे किनारे भाये नजरों को , लुभाए भी मन को ,  पर रुके नहीं कहीं, ब...