चित्र, साभार pixabay से..
हर इक इम्तिहा से गुजरना ही होगा
चल जिंदगी तुझको चलना ही होगा
रो-रो के काटें , खुशी से बिताएं
है जंग जीवन,तो लड़ना ही होगा
बहुत दूर साहिल, बड़ी तेज धारा
संभलके भंवर से निकलना ही होगा
शरद कब तलक गुनगुनी यूँ रहेगी
धरा को कुहासे से पटना ही होगा
मधुमास मधुरिम सा महके धरा पर
तो पतझड़ से फिर-फिर गुजरना ही होगा
ये 'हालात' मौसम से, बनते बिगड़ते
डर छोड़ डट आगे बढ़ना ही होगा
बिखरना नहीं अब निखरना है 'यारा'
कनक सा अगन में तो तपना होगा ।।
38 टिप्पणियां:
वाह! बहुत सुन्दर 🙏
वाह!क्या बात है ,सुधा जी ,बेहतरीन !
बिखरना नहीं अब निखरना है यारा
कनक सा अगन में तो तपना ही होगा ।
बहुत खूब!
वाह ..... हर हाल में जीवन की जंग से जूझने को प्रेरित करती रचना ।
बिखरना नहीं अब निखरना है 'यारा'
कनक सा अगन में तो तपना होगा ।।
लाजवाब ।
हार्दिक धन्यवाद अंकित जी!
तहेदिल से धन्यवाद शुभा जी!
तहेदिल से धन्यवाद आ.संगीता जी!
प्रिय अनीता जी मेरी रचना चर्चा मंच पर साझा करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार 3 दिसंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हृदयतल से धन्यवाद प्रिय श्वेता जी मेरी रचना को पाँच लिंको के आनंद मंच पर साझा करने हेतु।
बेहतरीन अभिव्यक्ति
लाजवाब सृजन
बेहतरीन सृजन
बिखरना नहीं अब निखरना है 'यारा'
आभार..
सादर..
बेहतरीन सृजन
बिखरने से निखरने को प्रेरित करता सुंदर आशावादी काव्य सुधा जी आपकी लेखनी को सलाम बहुत उम्दा भाव बहुत उम्दा कथन ।
रो-रो के काटें , खुशी से बिताएं
है जंग जीवन,तो लड़ना ही होगा
वाह क्या बात कही है एक एक पंक्ति बहुत ही शानदार है
जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हिम्मत को बांधती हुई
बहुत ही ऊर्जावान रचना!
बिखरना नहीं अब निखरना है 'यारा'
कनक सा अगन में तो तपना होगा ।।
वाह !! बहुत खूब !!
बेहतरीन भावों से सजी सुन्दर कृति ।
बहुत बहुत सुन्दर
हार्दिक धन्यवाद आ.भारती जी!
हार्दिक धन्यवाद आ.यशोदा जी!
हार्दिक धन्यवाद आ.अनीता जी!
तहेदिल से धन्यवाद आ.कुसुम जी!
हृदयतल से धन्यवाद प्रिय मनीषा जी!
हार्दिक धन्यवाद मीना जी!
हार्दिक धन्यवाद आ.आलोक जी!
बिखरना नहीं अब निखरना है 'यारा'
कनक सा अगन में तो तपना होगा ।।.. आशा का संचार करती सुंदर उत्कृष्ट रचना ।बहुत शुभकामनाएं सुधा जी ।
तहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
रो-रो के काटें, खुशी से बिताएं; है जंग जीवन,तो लड़ना ही होगा। क़लम चाहे कम चले मगर जब चले तो ऐसी ही पैनी होनी चाहिए सुधा जी। आपकी इस ग़ज़ल को 'गागर में सागर' कहा जा सकता है।
जीवन के प्रति सकारात्मक सोच दर्शाती सुंदर रचना, सुधा दी।
आपकी सराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया हमेशा उत्साह द्विगुणित कर देती है जितेन्द्र जी!
तहेदिल से धन्यवाद आपका।
सहृदय आभार एवं धन्यवाद ज्योति जी!
Bahut umda Ghzal hai. Hindi ghazal ka alag hee awwal sthan hai. Waah Jee!
Bahut Umda Ghazal. Waah.
जी,अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।आदरणीय श्रीधर जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
हार्दिक धन्यवाद आपका।
सादर आभार।
वेहतरीन रचना।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
🌺🌺🙏🙏🌺🌺
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.श्रीधर जी !
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