सोमवार, 13 सितंबर 2021

तुम उसके जज्बातों की भी कद्र कभी करोगे

Indian woman
                        चित्र साभार गूगल से....


जो गुण नहीं था उसमें

हरदम देखा तुमने

हर कसौटी पर खरी उतरे

ये भी चाहा तुमने

पर जो गुण हैं उसमें

उसको समझ सकोगे?

तुम उसके जज्बातों की

भी कद्र कभी करोगे   ?


बचपन की यादों से जिसने

समझौता कर डाला

और तुम्हारे ही सपनों को

सर आँखों रख पाला

पर उसके अपने ही मन से

उसको मिलने दोगे ?

तुम उसके जज्बातों की

भी कद्र कभी करोगे ?


सबको अपनाकर भी 

सबकी हो ना पायी

है बाहर की क्यों अपनों 

संग सदा परायी

थोड़ा सा सम्मान 

कभी उसको भी दोगे ?

तुम उसके जज्बातों की

भी कद्र कभी  करोगे ?


सुनकर तुमको सीख ही जाती

आने वाली पीढ़ी

सोच यही फिर बढ़ती जाती

हर पीढ़ी दर पीढ़ी

परिर्वतन की नव बेला में

खुद को कभी बदलोगे

 तुम उसके जज्बातों की

भी कद्र कभी करोगे ?


समाधिकार उसे दोगे तो

वह हद में रह लेगी

अनुसरणी सी घर-गृहस्थी की

बागडोर खुद लेगी

निज गृहस्थी के खातिर तुम भी

अपनी हद में रहोगे ?

तुम उसके जज्बातों की

भी कद्र कभी करोगे ?


   

37 टिप्‍पणियां:

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर बहुत सराहनीय

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

वाह बेहतरीन

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आ.आलोक जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.यशोदा जी मेरी रचना साझा करने हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद रितु जी!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

हिंदी दिवस की शुभकामनाएं| सुन्दर सृजन|

जिज्ञासा सिंह ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जज़्बातों की कद्र वहीं हो सकती है कब ये न समझा जाये कि ये घर गृहस्थी चलानाकेवल एक की ही ज़िम्मेदारी है ।
सुंदर भावपूर्ण रचना ।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

जो गुण नहीं था उसमें

हरदम देखा तुमने

हर कसौटी पर खरी उतरे

ये भी चाहा तुमने

पर जो गुण हैं उसमें

उसको समझ सकोगे?

तुम उसके जज्बातों की

भी कद्र कभी करोगे ?
.....बहुत सटीक रचना, अवगुण को गिनाते वक्त अगर इंसान सामने वाले का एक भी गुण स्मरण कर ले तो जो रिश्तों में दूरियाँ या कड़वाहट होती हैं,वो कभी हों ही न।सुंदर रचना ।

Amrita Tanmay ने कहा…

उन बेकद्रों को क्या खबर कि कद्र करना क्या चीज है । कभी जैसे को तैसा करके भी देखा जा सकता है । मर्मस्पर्शी विषय पर प्रभावी लेखन ।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ.जोशी जी!
आपको भी हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.संगीता जी!
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.अमृता जी!
सादर आभार।

Vocal Baba ने कहा…

सुंदर और सार्थक संदेश देती यह कविता बहुत अच्छी है। बहुत-बहुत बढ़िया सृजन है। आपको ढेरों शुभकामनाएँ। सादर।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार विरेन्द्र जी!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सहज सामयिक प्रश्न। सुन्दर रचना।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

सुंदर कविता

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.प्रवीण जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ.मुकेश जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी, आज की आपकी इस कविता ने तो कमाल कर दिया। ऐसा लगा कि हर महिला के दिल की आवाज है ये! बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति दी। मैं ने ये रचना मेरे पैरिवारिक ग्रुप में भी शेयर की है।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१८-०९-२०२१) को
'ईश्वर के प्रांगण में '(चर्चा अंक-४१९१)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद ज्योति जी रचना पसन्द करने एवं पारिवारिक ग्रुप मे शेयर करने हेतु।
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद जवं आभार मनोज जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद प्रिय अनीता जी! मेरी रचना को चर्चा मंच पर शेयर करने हेतु।
सस्नेह आभार।

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

PRAKRITI DARSHAN ने कहा…

सुंदर सृजन...

Manisha Goswami ने कहा…

बहुत ही भावनात्मक रचना!

मन की वीणा ने कहा…

वाह! सुधा जी बहुत ही सटीक लिखा आपने ,किसी से भी उसकी क्षमता के बाहर उम्मीद पालना और वैसे ही व्यवहार की उम्मीद रखना ये विसंगती जरूर है पर गृहणियों से ये उम्मीद कुछ ज्यादा ही लगाता है ये समाज, परिवार, पति बच्चे सब,पर उसके जज़्बातों को समझने का प्रयास कितने लोग करते हैं।
अप्रतिम सृजन।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद जवं आभार आ.ओंकार जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.संदीप जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद प्रिय मनीषा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सुन्दर सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी!

विश्वमोहन ने कहा…

दिल और दिमाग दोनो को छूती रचना। बहुत सुंदर।

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

जो गुण नहीं था उसमें

हरदम देखा तुमने

हर कसौटी पर खरी उतरे

ये भी चाहा तुमने

पर जो गुण हैं उसमें

उसको समझ सकोगे?



सुंदर विचारोत्तेजक कविता...

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नैनवाल जी!

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