कभी ले हरी नाम अरी रसना!
फूटे घट सा है ये जीवन
भरते-भरते भी खाली है
कभी ले हरि नाम अरी रसना !
अब साँझ भी होने वाली है.....
जब से हुई भोर और आँख खुली
जीवन, घट भरते ही बीता
कितना भी किया सब गर्द गया
खुद को पाया रीता-रीता
धन-दौलत जो भी कमाई है
सब यहीं छूटने वाली है।
कभी ले हरी नाम अरी रसना!
अब साँझ भी होने वाली है......
इस नश्वर जग में नश्वर सब
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
मुरलीधर माधव नैन बसा
छवि जिनकी बहुत निराली है
कभी ले हरी नाम अरी रसना!
अब साँझ भी होने वाली है......
चित्र, photopin.comसे...
टिप्पणियाँ
भरते-भरते भी खाली है।
बहुत सुंदर जय श्री कृष्णा।
छंदबद्ध बेहद सुंदर रचना।
बहुत बधाई आपको इस अलौकिक सृजन के लिए।
सादर।
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
अद्भुत सृजन सुधा जी..सांसारिक नश्वरता पर गहन अभिव्यक्ति.
आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 04-12-2020) को "उषा की लाली" (चर्चा अंक- 3905) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
…
"मीना भारद्वाज"
सस्नेह आभार।
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, सुधा दी।
सस्नेह आभार।
जीवन, घट भरते ही बीता
कितना भी किया सब गर्द गया
खुद को पाया रीता-रीता
बहुत सुंदर सुधा जी।
अध्यात्म की और अग्रसर मन की सुंदर कथा!
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
भावपूर्ण बेहतरीन रचना । बहुत-बहुत बधाई आदरणीया।
सादर आभार।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
बहुत सुंदर दर्शन।
सादर
सादर आभार।
अब साँझ भी होने वाली है....'
आपकी पंक्तियों ने अनुकरणीय सत्य कहा है सुधा जी... बहुत सुन्दर, श्लाघनीय!
सादर आभार।
सुंदर भाव लिए सुंदर रचना
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
अहा सुंदर आध्यात्मिक भावों से सज्जित सरस गेय सृजन।
कृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
पुनः आभार।
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई ---
सस्नेह आभार।
लय और गेयता लिए मनभावन शब्दावली।
अभिनव सृजन।