बुधवार, 2 दिसंबर 2020

कभी ले हरी नाम अरी रसना!

Lord Krishna

फूटे घट सा है ये जीवन

भरते-भरते भी खाली है

कभी ले हरि नाम अरी रसना !

अब साँझ भी होने वाली है.....


जब से हुई भोर और आँख खुली

जीवन, घट भरते ही बीता

कितना भी किया सब गर्द गया

खुद को पाया रीता-रीता


धन-दौलत जो भी कमाई है

सब यहीं छूटने वाली है।

कभी ले हरी नाम अरी रसना!

अब साँझ भी होने वाली है......


इस नश्वर जग में नश्वर सब

रिश्ते-नाते भी मतलब के

दिन-रैन जिया सब देख लिया

अन्तर्मन को अब तो मथ ले....


मुरलीधर माधव नैन बसा

छवि जिनकी बहुत निराली है

कभी ले हरी नाम अरी रसना!

अब साँझ भी होने वाली है......



                           चित्र, photopin.comसे...




63 टिप्‍पणियां:

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

फूटे घट सा है ये जीवन
भरते-भरते भी खाली है।
बहुत सुंदर जय श्री कृष्णा।

Sweta sinha ने कहा…

प्रिय सुधा जी आज काफी दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ। आपकी लिखी बेहद भावपूर्ण एवं मनमोहक रचना पढ़कर आनंद हुआ।
छंदबद्ध बेहद सुंदर रचना।
बहुत बधाई आपको इस अलौकिक सृजन के लिए।
सादर।

Meena Bhardwaj ने कहा…

इस नश्वर जग में नश्वर सब
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
अद्भुत सृजन सुधा जी..सांसारिक नश्वरता पर गहन अभिव्यक्ति.

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार भाई!

Meena Bhardwaj ने कहा…

सादर नमस्कार,
आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 04-12-2020) को "उषा की लाली" (चर्चा अंक- 3905) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

"मीना भारद्वाज"

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत दिनों बाद आपको ब्लॉग पर देखकर अति प्रसन्नता हुई श्वेता जी! आपकी सराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया पाकर उत्साहद्विगुणित हुआ आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मीना जी उत्साहवर्धन हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

चर्चा मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद मीना जी!

शुभा ने कहा…

वाह!सुधा जी ,जीवन सार समझाती ,खूबसूरत रचना ।

उर्मिला सिंह ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना💐💐

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत मधुर सुंदर रचना

Jyoti Dehliwal ने कहा…

इस नश्वर जग में नश्वर सब

रिश्ते-नाते भी मतलब के

दिन-रैन जिया सब देख लिया

अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, सुधा दी।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद शुभा जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद उर्मिला जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आपका श्वेता जी! पाँच लिंको के आनंद के मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक सिन्हा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी!

रेणु ने कहा…

जब से हुई भोर और आँख खुली
जीवन, घट भरते ही बीता
कितना भी किया सब गर्द गया
खुद को पाया रीता-रीता
बहुत सुंदर सुधा जी।
अध्यात्म की और अग्रसर मन की सुंदर कथा!
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

रेणु ने कहा…

रीडिंग लिस्ट मे आपके ब्लॉग को ना oi u।

रेणु ने कहा…

रीडिंग लिस्ट मे आपके ब्लॉग को ना पाकर मायूसी होती है।

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

इस नश्वर जग में नश्वर सब
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
भावपूर्ण बेहतरीन रचना । बहुत-बहुत बधाई आदरणीया।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सृजन

Bharti Das ने कहा…

वाह लाजबाव रचना

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद सखी!बहुत दिनों बाद आपका आना हुआ.... अत्यंत खुशी हुई आपकी प्रतिक्रिया पाकर।

Sudha Devrani ने कहा…

रीडिंग लिस्ट में मेरा ब्लॉग नहीं आता इस समस्या का हल नहीं निकल रहा है...मैने कोशिश भी की,अगर आपको इस विषय में कोई जानकारी हो तो कृपया मार्गदर्शन करें सखी।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ.पुरुषोत्तम जी!
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.जोशी जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार भारती जी !
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. ओंकार जी!

विश्वमोहन ने कहा…

इस नश्वर जग में नश्वर सब

रिश्ते-नाते भी मतलब के

दिन-रैन जिया सब देख लिया

अन्तर्मन को अब तो मथ ले....

बहुत सुंदर दर्शन।

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल ने कहा…

सुन्दर व दिव्य रचना।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद सर!

MANOJ KAYAL ने कहा…

बहुत सुन्दर

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया भक्तिपूर्ण रचना।

Vocal Baba ने कहा…

सार्थक भक्तिपूर्ण रचना के लिए आपको बधाई। आपके ब्लॉग पर आना सफ़ल रहा।

Amrita Tanmay ने कहा…

समय रहते यह जाग आ जाए तो जीवन अर्थपूर्ण हो जाए । अति सुन्दर ।

अनीता सैनी ने कहा…

वाह! बहुत सुंदर सृजन आदरणीय दी।
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद सर!
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद विरेंद्र जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद आ.अमृता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार आपका प्रिय अनीता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार आ.मनोज जी!

Gajendra Bhatt "हृदयेश" ने कहा…

'कभी ले हरी नाम अरी रसना!

अब साँझ भी होने वाली है....'
आपकी पंक्तियों ने अनुकरणीय सत्य कहा है सुधा जी... बहुत सुन्दर, श्लाघनीय!

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

सुंदर भावार्थ के साथ मनभावन छन्दयुक्त पद्य सृजन। बधाई आपको।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.सर!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.बडोला जी!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

हरी नाम तो कभी भी लिया जा सकता है पर ये सच है की सांझ वेला आती है तो उसका आसरा बहुत हिम्मत देता है ... जीवन में शान्ति रचने लगती है ... बहुत सुन्दर रचना है ...

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.नासवा जी!
सादर आभार।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हरि हरि .....
सुंदर भाव लिए सुंदर रचना

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन आदरणीय सुधा दी जी।
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर

मन की वीणा ने कहा…

वाह भाव भक्ति से भर दिया घट सुधा जी अब न टूटा न रीता।
अहा सुंदर आध्यात्मिक भावों से सज्जित सरस गेय सृजन।
कृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ आ.संगीता जी आपकी स्नेहिल सराहना हेतु तहेदिल से धन्यवाद।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनीता जी!अनमोल प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी! आपकी स्नेहिल सराहना हमेशा उत्साह द्विगुणित कर देती है
पुनः आभार।

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

बहुत सुन्दर !
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई ---

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार सर!

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

भादवान के प्रति आस्था और विश्वास का सुंदर मनन करती अति सुंदर रचना ।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
सस्नेह आभार।

मन की वीणा ने कहा…

बहुत ही प्यारी रचना है सुधा जी
लय और गेयता लिए मनभावन शब्दावली।
अभिनव सृजन।

Sudha Devrani ने कहा…

दिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी !

हो सके तो समभाव रहें

जीवन की धारा के बीचों-बीच बहते चले गये ।  कभी किनारे की चाहना ही न की ।  बतेरे किनारे भाये नजरों को , लुभाए भी मन को ,  पर रुके नहीं कहीं, ब...