भरते-भरते भी खाली है
कभी ले हरि नाम अरी रसना !
अब साँझ भी होने वाली है.....
जब से हुई भोर और आँख खुली
जीवन, घट भरते ही बीता
कितना भी किया सब गर्द गया
खुद को पाया रीता-रीता
धन-दौलत जो भी कमाई है
सब यहीं छूटने वाली है।
कभी ले हरी नाम अरी रसना!
अब साँझ भी होने वाली है......
इस नश्वर जग में नश्वर सब
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
मुरलीधर माधव नैन बसा
छवि जिनकी बहुत निराली है
कभी ले हरी नाम अरी रसना!
अब साँझ भी होने वाली है......
चित्र, photopin.comसे...
63 टिप्पणियां:
फूटे घट सा है ये जीवन
भरते-भरते भी खाली है।
बहुत सुंदर जय श्री कृष्णा।
प्रिय सुधा जी आज काफी दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ। आपकी लिखी बेहद भावपूर्ण एवं मनमोहक रचना पढ़कर आनंद हुआ।
छंदबद्ध बेहद सुंदर रचना।
बहुत बधाई आपको इस अलौकिक सृजन के लिए।
सादर।
इस नश्वर जग में नश्वर सब
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
अद्भुत सृजन सुधा जी..सांसारिक नश्वरता पर गहन अभिव्यक्ति.
अत्यंत आभार भाई!
सादर नमस्कार,
आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 04-12-2020) को "उषा की लाली" (चर्चा अंक- 3905) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत दिनों बाद आपको ब्लॉग पर देखकर अति प्रसन्नता हुई श्वेता जी! आपकी सराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया पाकर उत्साहद्विगुणित हुआ आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
सस्नेह आभार।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मीना जी उत्साहवर्धन हेतु।
चर्चा मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद मीना जी!
वाह!सुधा जी ,जीवन सार समझाती ,खूबसूरत रचना ।
बहुत खूबसूरत रचना💐💐
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत मधुर सुंदर रचना
इस नश्वर जग में नश्वर सब
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, सुधा दी।
सहृदय धन्यवाद शुभा जी!
सस्नेह आभार।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद उर्मिला जी!
हृदयतल से धन्यवाद आपका श्वेता जी! पाँच लिंको के आनंद के मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक सिन्हा जी!
सहृदय धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी!
जब से हुई भोर और आँख खुली
जीवन, घट भरते ही बीता
कितना भी किया सब गर्द गया
खुद को पाया रीता-रीता
बहुत सुंदर सुधा जी।
अध्यात्म की और अग्रसर मन की सुंदर कथा!
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
रीडिंग लिस्ट मे आपके ब्लॉग को ना oi u।
रीडिंग लिस्ट मे आपके ब्लॉग को ना पाकर मायूसी होती है।
इस नश्वर जग में नश्वर सब
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
भावपूर्ण बेहतरीन रचना । बहुत-बहुत बधाई आदरणीया।
सुन्दर सृजन
वाह लाजबाव रचना
बहुत सुंदर
सहृदय धन्यवाद सखी!बहुत दिनों बाद आपका आना हुआ.... अत्यंत खुशी हुई आपकी प्रतिक्रिया पाकर।
रीडिंग लिस्ट में मेरा ब्लॉग नहीं आता इस समस्या का हल नहीं निकल रहा है...मैने कोशिश भी की,अगर आपको इस विषय में कोई जानकारी हो तो कृपया मार्गदर्शन करें सखी।
हार्दिक धन्यवाद आ.पुरुषोत्तम जी!
सादर आभार।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.जोशी जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार भारती जी !
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. ओंकार जी!
इस नश्वर जग में नश्वर सब
रिश्ते-नाते भी मतलब के
दिन-रैन जिया सब देख लिया
अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
बहुत सुंदर दर्शन।
सुन्दर व दिव्य रचना।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी!
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद सर!
बहुत सुन्दर
बहुत ही बढ़िया भक्तिपूर्ण रचना।
सार्थक भक्तिपूर्ण रचना के लिए आपको बधाई। आपके ब्लॉग पर आना सफ़ल रहा।
समय रहते यह जाग आ जाए तो जीवन अर्थपूर्ण हो जाए । अति सुन्दर ।
वाह! बहुत सुंदर सृजन आदरणीय दी।
सादर
हार्दिक धन्यवाद सर!
सादर आभार।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद विरेंद्र जी!
सहृदय धन्यवाद आ.अमृता जी!
अत्यंत आभार आपका प्रिय अनीता जी!
हार्दिक आभार आ.मनोज जी!
'कभी ले हरी नाम अरी रसना!
अब साँझ भी होने वाली है....'
आपकी पंक्तियों ने अनुकरणीय सत्य कहा है सुधा जी... बहुत सुन्दर, श्लाघनीय!
सुंदर भावार्थ के साथ मनभावन छन्दयुक्त पद्य सृजन। बधाई आपको।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.सर!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.बडोला जी!
हरी नाम तो कभी भी लिया जा सकता है पर ये सच है की सांझ वेला आती है तो उसका आसरा बहुत हिम्मत देता है ... जीवन में शान्ति रचने लगती है ... बहुत सुन्दर रचना है ...
तहेदिल से धन्यवाद आ.नासवा जी!
सादर आभार।
हरि हरि .....
सुंदर भाव लिए सुंदर रचना
बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन आदरणीय सुधा दी जी।
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
वाह भाव भक्ति से भर दिया घट सुधा जी अब न टूटा न रीता।
अहा सुंदर आध्यात्मिक भावों से सज्जित सरस गेय सृजन।
कृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
आभारी हूँ आ.संगीता जी आपकी स्नेहिल सराहना हेतु तहेदिल से धन्यवाद।
सहृदय धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनीता जी!अनमोल प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी! आपकी स्नेहिल सराहना हमेशा उत्साह द्विगुणित कर देती है
पुनः आभार।
बहुत सुन्दर !
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई ---
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार सर!
भादवान के प्रति आस्था और विश्वास का सुंदर मनन करती अति सुंदर रचना ।
तहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
सस्नेह आभार।
बहुत ही प्यारी रचना है सुधा जी
लय और गेयता लिए मनभावन शब्दावली।
अभिनव सृजन।
दिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी !
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