हाँ मैं नादान हूँ मूर्ख भी निपट माना मैंंने
अपनी नादानियाँ कुछ और बढ़ा देती हूँ
तू जो परवाह कर रही है सदा से मेरी
खुद को संकट में कुछ और फंसा लेती हूँ
वक्त बेवक्त तेरा साथ ना मिला जो मुझे
अपने अश्कों से तेरी दुनिया बहा देती हूँ
सबकी परवाह में जब खुद को भूल जाती हूँ
अपनी परवाह मेंं तुझको करीब पाती हूँ
मेरी फिकर तुझे फिर और क्या चाहना है मुझे
तेरी ही ओट पा मैं मौत से टकराती हूँ
मैंंने माना मेरे खातिर खुद से लड़ते हो तुम
विधना की लिखी तकदीर बदलते हो तुम
मेरी औकात से बढ़कर ही पाया है मैंंने
सबको लगता है जो मेरा, सब देते हो तुम
कभी कर्मों के फलस्वरूप जो दुख पाती हूँ
जानती हूँ फिर भी तुमसे ही लड़ जाती हूँ
तेरे रहमोकरम सब भूल के इक पल भर में
तेरे अस्तित्व पर ही प्रश्न मैं उठाती हूँ
मेरी भूले क्षमा कर माँ ! सदा यूँ साथ देते हो
मेरी कमजोर सी कश्ती हमेशा आप खेते हो
कृपा करना सभी पे यूँ सदा ही मेरी अम्बे!
जगत्जननी कष्टहरणी, सभी के कष्ट हरते हो ।।
चित्र ; साभार गूगल से...
30 टिप्पणियां:
बेहतरीन रचना।
वाह बढ़िया रचना जगजननी पर ...
हृदयतल से धन्यवाद आ.माथुर जी !
सादर आभार।
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सर!
सादर आभार।
सुधा दी,माँ दुर्गा आप पर और पूरे परिवार पर खुशियो की बरसात करे।
बहुत सुंदर रचना दी।
सुधा जी, जब आप ख़ुद अपने बल पर, ख़ुद अपने दम पर, कुछ करने का ठानेंगीं तब निश्चित रूप से माँ आपकी सहायक होगी और उसका आशीर्वाद भी आपको मिलेगा.
बहुत सुंदर,बेहतरीन रचना।
हृदयतल से धन्यवाद ज्योति जी!
सस्नेह आभार।
जी, हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.सर!
सस्नेह आभार भाई!
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (२६-१०-२०२०) को 'मंसूर कबीर सरीखे सब सूली पे चढ़ाए जाते हैं' (चर्चा अंक- ३८६६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना चर्चा मंच पर साझा करने हेतु।
सस्नेह आभार।
बेहतरीन रचना सुधा जी।
वाह !
उत्कृष्ट रचना
बहुत सुन्दर रचना - - पुत्री व माता के मध्य का गहरा कथोपकथन, ह्रदय को स्पर्श करता है।
अत्यंत आभार सखी!
हार्दिक धन्यवाद आ.सधु चन्द्र जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
हृदयतल से धन्यवाद आदरणीय!
सादर आभार।
कभी कर्मों के फलस्वरूप जो दुख पाती हूँ
जानती हूँ फिर भी तुमसे ही लड़ जाती हूँ
तेरे रहमोकरम सब भूल के इक पल भर में
तेरे अस्तित्व पर ही प्रश्न मैं उठाती हूँ
–सत्य सार्थक भावाभिव्यक्ति
उम्दा रचना
साधुवाद
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.विभा जी!
वाह बहुत सुंदर सुधा जी, भक्ति भाव से भरी माँ की स्तुति सरस पावन।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी!
अत्यधिक प्रशंसनीय ।
बहुत सुंदर स्तुति आदरणीया मैम। जय माँ अम्बे।
वाह !बहुत सुंदर !
वक्त बेवक्त तेरा साथ ना मिला जो मुझे अपने अश्कों से तेरी दुनिया बहा देती हूँ | वाह | बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं |हार्दिक शुभ कामनाएं |
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आँचल जी!
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद मनोज जी!
सादर आभार एवं धन्यवाद आ. आलोक जी!
बहुत सुन्दर प्ररशंसनीय रचना |
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