शनिवार, 24 अक्तूबर 2020

विधना की लिखी तकदीर बदलते हो तुम....


Goddess durga face


 हाँ मैं नादान हूँ मूर्ख भी निपट माना मैंंने

अपनी नादानियाँ कुछ और बढ़ा देती हूँ

तू जो परवाह कर रही है सदा से मेरी

खुद को संकट में कुछ और फंसा लेती हूँ

वक्त बेवक्त तेरा साथ ना मिला जो मुझे

अपने अश्कों से तेरी दुनिया बहा देती हूँ


सबकी परवाह में जब खुद को भूल जाती हूँ

अपनी परवाह मेंं तुझको करीब पाती हूँ

मेरी फिकर तुझे फिर और क्या चाहना है मुझे

तेरी ही ओट पा मैं   मौत से टकराती हूँ


मैंंने माना मेरे खातिर खुद से लड़ते हो तुम 

विधना की लिखी तकदीर बदलते हो तुम

मेरी औकात से बढ़कर ही पाया है मैंंने

सबको लगता है जो मेरा, सब देते हो तुम


कभी कर्मों के फलस्वरूप जो दुख पाती हूँ

जानती हूँ फिर भी तुमसे ही लड़ जाती हूँ

तेरे रहमोकरम सब भूल के इक पल भर में

तेरे अस्तित्व पर ही    प्रश्न मैं उठाती हूँ


मेरी भूले क्षमा कर माँ !  सदा यूँ साथ देते हो

मेरी कमजोर सी कश्ती हमेशा आप खेते हो

कृपा करना सभी पे यूँ  सदा ही मेरी अम्बे!

जगत्जननी कष्टहरणी, सभी के कष्ट हरते हो ।।


              चित्र ; साभार गूगल से...




30 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन रचना।

Satish Saxena ने कहा…

वाह बढ़िया रचना जगजननी पर ...

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आ.माथुर जी !
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सर!
सादर आभार।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी,माँ दुर्गा आप पर और पूरे परिवार पर खुशियो की बरसात करे।
बहुत सुंदर रचना दी।

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

सुधा जी, जब आप ख़ुद अपने बल पर, ख़ुद अपने दम पर, कुछ करने का ठानेंगीं तब निश्चित रूप से माँ आपकी सहायक होगी और उसका आशीर्वाद भी आपको मिलेगा.

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

बहुत सुंदर,बेहतरीन रचना।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद ज्योति जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

जी, हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.सर!

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार भाई!

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (२६-१०-२०२०) को 'मंसूर कबीर सरीखे सब सूली पे चढ़ाए जाते हैं' (चर्चा अंक- ३८६६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना चर्चा मंच पर साझा करने हेतु।
सस्नेह आभार।

Anuradha chauhan ने कहा…

बेहतरीन रचना सुधा जी।

सधु चन्द्र ने कहा…

वाह !
उत्कृष्ट रचना

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना - - पुत्री व माता के मध्य का गहरा कथोपकथन, ह्रदय को स्पर्श करता है।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार सखी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ.सधु चन्द्र जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आदरणीय!
सादर आभार।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

कभी कर्मों के फलस्वरूप जो दुख पाती हूँ
जानती हूँ फिर भी तुमसे ही लड़ जाती हूँ
तेरे रहमोकरम सब भूल के इक पल भर में
तेरे अस्तित्व पर ही प्रश्न मैं उठाती हूँ

–सत्य सार्थक भावाभिव्यक्ति
उम्दा रचना
साधुवाद

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.विभा जी!

मन की वीणा ने कहा…

वाह बहुत सुंदर सुधा जी, भक्ति भाव से भरी माँ की स्तुति सरस पावन।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी!

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

अत्यधिक प्रशंसनीय ।

Anchal Pandey ने कहा…

बहुत सुंदर स्तुति आदरणीया मैम। जय माँ अम्बे।

MANOJ KAYAL ने कहा…

वाह !बहुत सुंदर !

आलोक सिन्हा ने कहा…

वक्त बेवक्त तेरा साथ ना मिला जो मुझे अपने अश्कों से तेरी दुनिया बहा देती हूँ | वाह | बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं |हार्दिक शुभ कामनाएं |

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आँचल जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद मनोज जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सादर आभार एवं धन्यवाद आ. आलोक जी!

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्ररशंसनीय रचना |

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