गीत-- शीतल से चाँद का क्या होना
इस गरम मिजाजी दुनिया में
शीतल से चाँद का क्या होना
कुछ दिन ही सामना कर पाता
फिर लुप्त कहीं छुप छुप रोना
जस को तस सीख न पाया वो
व्यवहार कटु न सह पाता
क्रोध स्वयं पीकर अपना
निशदिन ऐसे घटता जाता
निर्लिप्त दुखी सा बैठ कहीं
प्रभुत्व स्वयं का फिर खोना
इस गरम मिजाजी दुनिया में
शीतल से चाँद का क्या होना
स्वामित्व दिखाने को जग में
कड़वा बनना ही पड़ता है
सूरज जब ताप उगलता है
जग छाँव में तभी दुबकता है
अति मीठे गुण में गन्ने सा
कोल्हू में निचोड़ा नित जाना
इस गरम मिजाजी दुनिया में
शीतल से चाँद का क्या होना
चित्र साभार गूगल से...
टिप्पणियाँ
शीतल से चाँद का क्या होना।वाह बेहतरीन नवगीत सखी 👌
बहुत सुंदर गीत।
शीतल से चांद का क्या होना
सुन्दर प्रस्तुति सुधा जी
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
कोल्हू में निचोड़ा नित जाना
इस गरम मिजाजी दुनिया में
शीतल से चाँद का क्या होना...
बेहतरीन व लाजवाब नवगीत👌👌👌👌
पर चाँद अपना स्वभाव नहीं छोड़ने वाला ... रात भी उसके साथ है तभी तो शीतल है ...
हृदयतल से धन्यवाद।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१६-०५-२०२०) को 'विडंबना' (चर्चा अंक-३७०३) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
सस्नेह आभार।
शीतल से चाँद का क्या होना
बहुत खूब ,बिलकुल सही कहा आपने ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन सुधा जी
कड़वा बनना ही पड़ता है
सूरज जब ताप उगलता है
जग छाँव में तभी दुबकता है....यथार्थ....बात बिल्कुल सही है सुधा जी कई बार परिस्थितियों के आगे विवश हो मनुष्य कड़वा बन जाता है।
सुंदर गीत👌👌👌👌
उत्साह वर्धन हेतु।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है
सादर आभार।
कुछ दिन ही सामना कर पाता
फिर लुप्त कहीं छुप छुप रोना
खासक ये पंक्तियाँ। .तो यह जैसे मेरे लिए लिखी हो। ..कुछ दिन सामना करती हूँ विषैले लोगों का फिर। .छुप क्र बैठ जाती हूँ
जस को तस सीख न पाया वो
व्यवहार कटु न सह पाता
क्रोध स्वयं पीकर अपना
निशदिन ऐसे घटता जाता
निर्लिप्त दुखी सा बैठ कहीं
जो मन से साफ़ और सच्चे होते हैं उनके साथ अक्सर युहीं होता हे ,..
पूरी रचना में खुद को देख पा रही हूँ मैं
बहुत धन्यवाद
रचना का सारांश स्पष्ट करने और सुन्दर सराहनीय प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका।
शीतल से चाँद का क्या होना
बहुत खूब ,बिलकुल सही कहा