शनिवार, 2 मई 2020

नवगीत--- 'तन्हाई'

loneliness
 अद्य को समृद्ध करने
हेतु अपने सुख थे त्यागे
अब न अपने साथ कोई
जो थे अपनी राह भागे


स्वस्थ थे सुख ले न पाये ,
थी कहाँ परवाह तन की।
भविष्य के सपने सजाते,
ना सुनी यूँ चाह मन की।
व्याधियां हँसने लगी हैं,
सो रहे दिन रात जागे।
अब न अपने साथ कोई,
जो थे अपनी राह भागे।


आज ऐसे यूँ अकेले,
जिन्दगी के दिन हैं कटते ।
अल्लसुबह से रात बीते,
यूँ अतीती पन्ने फटते।
जागते से नेत्र बोले,
स्वप्न झूठी बात लागे।
अब न अपने साथ कोई,
जो थे अपनी राह भागे।

    चित्र गूगल से साभार

45 टिप्‍पणियां:

Anuradha chauhan ने कहा…

वाह बेहतरीन रचना सखी

Sweta sinha ने कहा…

क्या बात है वाह..वेदना कका अंतस नाद।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सुधा जी।

आपकी रचना पढ़कर मन से फूटी कुछ पंक्तियाँ-
----
पन्नें अतीती फाड़कर
मनभाव जीवित गाड़कर
हिय विकलता न मिटे
प्रीत की हर बात झूठी
वेदना न जाये ढोई
तोड़ दूँ मैं मोह धागे

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

वाह सुन्दर प्रस्तुति सखी

मन की वीणा ने कहा…

बहुत बहुत सुंदर सखी, यथार्थ दर्शन करवाता सार्थक सृजन।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर रचना, सुधा दी।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद एवं आभार सखी!

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!श्वेता जी बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ
रचना को विस्तार देती...तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ रितु जी!बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ कुसुम जी! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया उत्साह द्विगुणित कर देती है
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ ज्योति जी आपके निरंतर सहयोग एवं उत्साह वर्धन हेतु...
सहृदय धन्यवाद।

शुभा ने कहा…

वाह!सुधा जी ,सुंदर सृजन ।

उर्मिला सिंह ने कहा…

अति उत्तम

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ऐसा होता है ... जब मन में जोश, हिम्मत, जवानी रहती है तब तक सब के दौड़ता है .... पर जब तन्हाई का आलम आता है तो कोई साथ नहीं होता ... ये तो जीवन की एक आवश्यक रीत है ... हर किसी के साथ होती है ... इसलिए खुद के लिए जीना समय रहते बहुत जरूरी है ...

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार, शुभा जी !

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार भाई!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद, उर्मिला जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद, नासवा जी!सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु...
सादर आभार।

Meena Bhardwaj ने कहा…

अल्लसुबह से रात बीते,
यूँ अतीती पन्ने फटते।
जागते से नेत्र बोले,
स्वप्न झूठी बात लागे।
बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी गीत सुधा जी ।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद मीना जी !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सृजन

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ. जोशी जी !

Subodh Sinha ने कहा…

थी कहाँ परवाह तन की।
भविष्य के सपने सजाते
&
अब न अपने साथ कोई,
जो थे अपनी राह भागे। ...
इस चार पंक्तियों में मानव जीवन के आम सार ...यहाँ पर हर पल आनी-जानी है, कुछ पल ही तो ज़िंदगानी है ...

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद, आ. सुबोध जी!सारगर्भित प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु...
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कविता जी !

अनीता सैनी ने कहा…

अद्य को समृद्ध करने
हेतु अपने सुख थे त्यागे
अब न अपने साथ कोई
जो थे अपनी राह भागे


स्वस्थ थे सुख ले न पाये ,
थी कहाँ परवाह तन की।
भविष्य के सपने सजाते,
ना सुनी यूँ चाह मन की।
व्याधियां हँसने लगी हैं,
सो रहे दिन रात जागे।
अब न अपने साथ कोई,
जो थे अपनी राह भागे।... वाह !लाजवाब सृजन आदरणीया दीदी 👌

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद अनीता जी!उत्साहवर्धन हेतु...
सस्नेह आभार।

~Sudha Singh vyaghr~ ने कहा…

यथार्थवादी लाजवाब सृजन सुधा जी,बहुत अच्छा लिख रही हैं आप।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०५-२०२०) को 'बेटे का दर्द' (चर्चा अंक-३६९६) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद एवं आभार सुधा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु...
सस्नेह आभार।

~Sudha Singh vyaghr~ ने कहा…

बहुत सुंदर नवगीत सखी👌👌

Kamini Sinha ने कहा…

स्वस्थ थे सुख ले न पाये ,
थी कहाँ परवाह तन की।
भविष्य के सपने सजाते,
ना सुनी यूँ चाह मन की।

सत्य कहा आपने सुधा जी ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमस्कार

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार सुधा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !

Aditya Yadav ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति .l

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद यादव जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है

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Sudha Devrani ने कहा…

जी, धन्यवाद आपका।

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Sudha Devrani ने कहा…

जी, धन्यवाद आपका...।

Akhilesh shukla ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति है आपकी । वाह ।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।

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