सियासत और दूरदर्शिता.....
प्रभु श्री राम के रीछ-वानर हों या,
श्री कृष्ण जी के ग्वाल - बाल
महात्मा बुद्ध के परिव्राजक हों या,
महात्मा गाँधी जी के सत्याग्रही
दूरदर्शी थे समय के पारखी थे,
समय की गरिमा को पहचाने थे
अपनी भूमिका को निखारकर
जीवन अपना संवारे थे
आजकल भी कुछ नेता बड़े दूरदर्शी हो गये,
देखो ! कैसे दल-बदल मोदी -लहर में बह गये
इसी को कहते हैं चलती का नाम गाड़ी,
गर चल दिया तो हुआ सयाना
छूट गया तो हुआ अनाड़ी ।
नीतीश जी को ही देखिये, कैसे गठबंधन छोड़ बैठे !
व्यामोह के चक्रव्यूह से, कुशलता से निकल बैठे !
दूरदर्शिता के परिचायक नीतीश जी
राजनीति के असली दाँव पेंच चल बैठे।
भाजपा का दामन पकड़ अनेक नेता सफल हो गये
दल - बदलू बनकर ये सियासत के रंग में रंग लिये
भाजपा का दामन पकड़ अनेक नेता सफल हो गये
दल - बदलू बनकर ये सियासत के रंग में रंग लिये
बहुत बड़ी बात है,देशवासियों का विश्वासमत हासिल करना !
उससे भी बड़ी बात है विश्वास पर खरा उतरना
आगे - आगे देखते हैं भाजपा करती है क्या?
सभी के विश्वास पर खरी भी उतरती है क्या ?
चित्र साभार गूगल से
उससे भी बड़ी बात है विश्वास पर खरा उतरना
आगे - आगे देखते हैं भाजपा करती है क्या?
सभी के विश्वास पर खरी भी उतरती है क्या ?
चित्र साभार गूगल से
टिप्पणियाँ
पाँच लिंकों का आनन्द परआप भी आइएगा....धन्यवाद!
विश्वास मोदी पर ज़रा जमा लें ।
और संगीता दी ने सही कहा। खैर, ये तो राजनीति की बात थी जहां तक कविता की बात है तो हमेशा की तरह लाजबाव सृजन 🙏