बीती ताहि बिसार दे

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  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

सियासत और दूरदर्शिता

Corrupt politicians

                                                           

प्रभु श्री राम के रीछ-वानर हों या,
श्री कृष्ण जी के ग्वाल - बाल

महात्मा बुद्ध के परिव्राजक हों या,
महात्मा गाँधी जी के  सत्याग्रही

दूरदर्शी थे समय के पारखी थे,
समय की गरिमा को पहचाने थे

अपनी भूमिका को निखारकर
जीवन अपना संवारे थे

आजकल भी कुछ नेता बड़े दूरदर्शी हो गये,
देखो ! कैसे दल-बदल मोदी -लहर में बह गये

इसी को कहते हैं चलती का नाम गाड़ी,
गर चल दिया तो हुआ सयाना
छूट गया तो हुआ अनाड़ी ।

नीतीश जी को ही देखिये, कैसे गठबंधन छोड़ बैठे !
व्यामोह के चक्रव्यूह से, कुशलता से निकल बैठे !

दूरदर्शिता के परिचायक नीतीश जी
 राजनीति के असली दाँव पेंच चल बैठे।

भाजपा का दामन पकड़ अनेक नेता सफल हो गये
दल - बदलू बनकर ये सियासत के रंग में रंग लिये

बहुत बड़ी बात है,देशवासियों का विश्वासमत हासिल करना !
उससे भी बड़ी बात है विश्वास पर खरा उतरना
आगे - आगे देखते हैं भाजपा करती है क्या?
 सभी के विश्वास पर खरी भी उतरती है क्या ?
                                                                                                चित्र साभार गूगल से

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. विरोधी चल रहे हैं अपनी चालें
    विश्वास मोदी पर ज़रा जमा लें ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आज जब आपकी ये रचना पढ़ रहीं हूं तब तक नितिश जी ने फिर दल बदल लिया 😂

    और संगीता दी ने सही कहा। खैर, ये तो राजनीति की बात थी जहां तक कविता की बात है तो हमेशा की तरह लाजबाव सृजन 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. उस समय का सामायिक विवरण देती रचना।

    जवाब देंहटाएं

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