दोहे - सावन में शिव भक्ति

■ सावन आया सावन मास है , मंदिर लगी कतार । भक्त डूबते भक्ति में, गूँज रही जयकार ।। लिंग रूप भगवान का, पूजन करते भक्त । कर दर्शन शिवलिंग के, हुआ हृदय अनुरक्त । ओघड़दानी देव शिव, बाबा भोलेनाथ । जपें नाम सब आपका, जोड़े दोनों हाथ ।। करो कृपा मुझ दीन पर, हे शिव गौरीनाथ । हर लो दुख संताप प्रभु, सर पर रख दो हाथ ।। बम बम भोले बोलकर, भक्त करें जयकार । विधिवत व्रत पूजन करें, मिलती खुशी अपार ।। ■ काँवड काँधे में काँवड सजे, होंठों मे शिव नाम । शिव शंकर की भक्ति से, बनते बिगड़े काम ।। काँवड़िया काँवड़ लिये, चलते नंगे पाँव । बम बम के जयघोष से, गूँज रहे हैं गाँव ।। काँधे पर काँवड़ लिये, भक्त चले हरिद्वार । काँवड़ गंगाजल भरे, चले शंभु के द्वार ।। काँवड़िया काँवड़ लिए , गाते शिव के गीत । जीवन उनका धन्य है, शिव से जिनको प्रीत ।। सादर अभिनंदन🙏🙏 पढ़िये भगवान शिव पर आधारित कुण्डलिया छंद निम्न लिंक पर ● हरते सबके कष्ट सदाशिव भोले शंकर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(२२ -०३-२०२०) को शब्द-सृजन-१३"साँस"( चर्चाअंक -३६४८) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी
आभारी हूँ अनीता जी चर्चा मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका...।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुधा जी अप्रतिम!
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी रचना
मानवीय संवेदनाओं का गहन मंथन करती भावों को बहुत सुंदर उकेरा है आपने ।
अप्रतिम।
हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी!उत्साहवर्धन हेतु....
हटाएंसस्नेह आभार।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद ओंकार जी !
हटाएंबेहद मार्मिक रचना सखी।बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद सुजाता जी !
हटाएंसादर आभार।
बेहद मार्मिक ,जो दृश्य हजारो बार हर किसी ने गाहे -बगाहें देखा ही होगा उसका इतना सुंदर चित्रण जैसे सब कुछ होते दिखाई दे रहा हो ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सखी अनमोल प्रतिक्रिया मेरा उत्साह द्विगुणित कर देती है।
हटाएंसस्नेह आभार।
आपकी लिखी रचना सोमवार 5 सितम्बर ,2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
तहेदिल से धन्यवाद आ.संगीता जी ! मेरी रचना चयन करने हेतु ।
हटाएंसुधा दी, मानवीय संवेदना से परिपूर्ण बहुत सुंदर रचना। परिवार का यह प्रेमभाव ही ऐसे गरीबों भी प्रेम रूपी अमीरी का एहसास करवा देता है!
जवाब देंहटाएंजी ज्योति जी , बहुत सही कहा आपने प्रेम रूपी अमीरी स इन्हीं गरीबों के पास बची है।
हटाएंदिल से धन्यवाद एव आभार आपका ।
अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति सुधा जी।
जवाब देंहटाएंजीवंत चित्रण।
सस्नेह।
हृदयतल से धन्यवाद प्रिय श्वेता जी !
हटाएंसस्नेह आभार ।
अत्यंत मर्मांतक और दिल को छूने वाली एक बोलती रचना।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद जवं आभार आ.विश्वमोहन जी !
हटाएंमर्म स्पर्शी चिंतन परक रचना
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार अभिलाषा जी !
हटाएंहृदय स्पर्शी दृश्य चित्रण।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना सुधा जी।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी !
हटाएंप्रिय सुधा जी,प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती।उसे कोई जरा सा जता दे तो इसकी कहानी लिखी जाती है।आपने नन्ही बालिका की सहृदयता का जो मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है वह सराहना से परे है।एक कवि दृष्टि ही इसे आँक इसका मूल्य बताती है।इस मर्मांतक शब्द चित्र में आपसी प्रेम और आत्मीयता की भावपूर्ण कथा छिपी है जिसे आपने बड़े कौशल से शब्दों में सहजता से जीवंत किया है।मानवीय संवेदनाओं के सूक्ष्म बिन्दुओं5को स्पर्श करती रचना के लिए बधाई स्वीकारें।शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ 🌺🌺🌹🌹
जवाब देंहटाएंरचना के मर्म को स्पष्ट करतीअनमोल प्रतिक्रिया हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी !
हटाएं