जूस(fruit juice) की दुकान पर,
एक छोटी सी लड़की....
एक हाथ से, अपने से बड़े,
फटे-पुराने,मैले-कुचैले
कपड़े सम्भालती.....
एक हाथ आगे फैलाकर सहमी-सहमी सी,
सबसे भीख माँगती.......
वह छोटी सी लड़की उस दुकान पर
हाथ फैलाए भीख माँगती....
आँखों में शर्मिंदगी,सकुचाहट लिए,
चेहरे पर उदासी ओढे......
ललचाई नजर से हमउम्र बच्चों को
सर से पैर तक निहारती.......
वह छोटी सी लड़की ,खिसियाती सी,
सबसे भीख माँगती.......
कोई कुछ रख देता हाथ में उसके ,
वह नतमस्तक हो जाती......
कोई "ना" में हाथ हिलाता,तो वह
गुमसुम आगे बढ जाती.....
अबकी जब उसने हाथ बढाया,
सामने एक सज्जन को पाया.....
सज्जन ने निज हाथों से अपनी,
सारी जेबों को थपथपाया........
लड़की आँखों में उम्मीदें लेकर,
देख रही विनम्र वहाँ पर......
सज्जन ने "ना" में हाथ हिलाकर,
बच्ची की तरफ जब देखा.......
दिखाई दी उनको भी शायद,
टूटते उम्मीदों की रेखा......
बढ़ी तब आगे वह होकर निराश.....
रोका सज्जन ने उसे........
बढा दिया उसकी तरफ, अपने
जूस का भरा गिलास......
लड़की थोड़ा सकुचाई, फिर
मुश्किल से नजर उठाई ।
सज्जन की आँखों में उसे,
कुछ दया सी नजर आई।
फिर हिम्मत उसने बढाई......
देख रही थी यह सब मैं भी,
सोच रही कुछ आगे.....
कहाँ है ये सब नसीब में उसके
चाहे कितना भी भागे.....
जूस देख लालच वश झट से,
ये गिलास झपट जायेगी......
एक ही साँस में जूस गटक कर ये
आजीवन इतरायेगी.......
परन्तु ऐसा हुआ नहीं, वह तो
साधारण भाव में थी......
जूस लिया कृतज्ञता से और,
चुप आगे बढ दी.......
हाथ में जूस का गिलास लिए, वह
चौराहे पार गई..........
अचरज वश मैं भी उसके फिर
पीछे पीछे ही चल दी.........
चौराहे पर ; एक टाट पर बैठी औरत,
दीन मलिन थी उसकी सूरत...
नन्हा बच्चा गोद लिए वह, भीख
माँगती हाथ बढ़ाकर.....
लड़की ने उस के पास जाकर,
जूस का गिलास उसे थमाया ।
और उसने नन्हे बच्चे को बड़ी
खुशी से जूस पिलाया.....
थोड़ा जूस पिया बच्चे ने, थोड़ा-सा
फिर बचा दिया.....
माँ ने ममतामय होकर, लड़की को
गिलास थमा दिया.....
बेटी ने गिलास लेकर, माँ के होठों
से लगा लिया.....
माँ ने एक घूँट छोटी सी पीकर,सर पर
उसकी थपकी देकर......
बड़े लाड़ से पास बिठाया ,
फिरअपने हाथों से उसको, बचा हुआ
वह जूस पिलाया.....
देख प्रेम की ऐसी लीला,मेरा भी
हृदय भर आया........
11 टिप्पणियां:
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(२२ -०३-२०२०) को शब्द-सृजन-१३"साँस"( चर्चाअंक -३६४८) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी
सुधा जी अप्रतिम!
हृदय स्पर्शी रचना
मानवीय संवेदनाओं का गहन मंथन करती भावों को बहुत सुंदर उकेरा है आपने ।
अप्रतिम।
आभारी हूँ अनीता जी चर्चा मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका...।
हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी!उत्साहवर्धन हेतु....
सस्नेह आभार।
बहुत सुन्दर
बेहद मार्मिक रचना सखी।बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
बेहद मार्मिक ,जो दृश्य हजारो बार हर किसी ने गाहे -बगाहें देखा ही होगा उसका इतना सुंदर चित्रण जैसे सब कुछ होते दिखाई दे रहा हो ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन आपको
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद ओंकार जी !
हृदयतल से धन्यवाद सुजाता जी !
सादर आभार।
सहृदय धन्यवाद सखी अनमोल प्रतिक्रिया मेरा उत्साह द्विगुणित कर देती है।
सस्नेह आभार।
एक टिप्पणी भेजें