सैनिक, संत, किसान (दोहा मुक्तक)

सैनिक रक्षा करते देश की, सैनिक वीर जवान । लड़ते लड़ते देश हित, करते निज बलिदान । ओढ़ तिरंगा ले विदा, जाते अमर शहीद, नमन शहीदों को करे, सारा हिंदुस्तान ।। संत संत समागम कीजिए, मिटे तमस अज्ञान । राह सुगम होंगी सभी, मिले सत्य का ज्ञान । अमल करे उपदेश जो, होगा जीवन धन्य, मिले परम आनंद तब, खिले मनस उद्यान । किसान खून पसीना एक कर , खेती करे किसान । अन्न प्रदाता है वही, देना उसको मान । सहता मौसम मार वह, झेले कष्ट तमाम, उसके श्रम से पल रहा सारा हिंदुस्तान । सैनिक, संत, किसान 1) सीमा पर सैनिक खड़े, खेती करे किसान । संत शिरोमणि से सदा, मिलता सबको ज्ञान। गर्वित इन पर देश है , परहित जिनका ध्येय, वंदनीय हैं सर्वदा, सैनिक संत किसान ।। 2) सैनिक संत किसान से, गर्वित हिंदुस्तान । फर्ज निभाते है सदा, लिये हाथ में जान । रक्षण पोषण धर्म की, सेवा पर तैनात, करते उन्नति देश की, सदा बढ़ाते मान ।। हार्दिक अभिनंदन आपका 🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर ● मुक्...
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(२२ -०३-२०२०) को शब्द-सृजन-१३"साँस"( चर्चाअंक -३६४८) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
आभारी हूँ अनीता जी चर्चा मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका...।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुधा जी अप्रतिम!
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी रचना
मानवीय संवेदनाओं का गहन मंथन करती भावों को बहुत सुंदर उकेरा है आपने ।
अप्रतिम।
हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी!उत्साहवर्धन हेतु....
हटाएंसस्नेह आभार।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद ओंकार जी !
हटाएंबेहद मार्मिक रचना सखी।बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद सुजाता जी !
हटाएंसादर आभार।
बेहद मार्मिक ,जो दृश्य हजारो बार हर किसी ने गाहे -बगाहें देखा ही होगा उसका इतना सुंदर चित्रण जैसे सब कुछ होते दिखाई दे रहा हो ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सखी अनमोल प्रतिक्रिया मेरा उत्साह द्विगुणित कर देती है।
हटाएंसस्नेह आभार।
आपकी लिखी रचना सोमवार 5 सितम्बर ,2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
तहेदिल से धन्यवाद आ.संगीता जी ! मेरी रचना चयन करने हेतु ।
हटाएंसुधा दी, मानवीय संवेदना से परिपूर्ण बहुत सुंदर रचना। परिवार का यह प्रेमभाव ही ऐसे गरीबों भी प्रेम रूपी अमीरी का एहसास करवा देता है!
जवाब देंहटाएंजी ज्योति जी , बहुत सही कहा आपने प्रेम रूपी अमीरी स इन्हीं गरीबों के पास बची है।
हटाएंदिल से धन्यवाद एव आभार आपका ।
अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति सुधा जी।
जवाब देंहटाएंजीवंत चित्रण।
सस्नेह।
हृदयतल से धन्यवाद प्रिय श्वेता जी !
हटाएंसस्नेह आभार ।
अत्यंत मर्मांतक और दिल को छूने वाली एक बोलती रचना।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद जवं आभार आ.विश्वमोहन जी !
हटाएंमर्म स्पर्शी चिंतन परक रचना
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार अभिलाषा जी !
हटाएंहृदय स्पर्शी दृश्य चित्रण।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना सुधा जी।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी !
हटाएंप्रिय सुधा जी,प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती।उसे कोई जरा सा जता दे तो इसकी कहानी लिखी जाती है।आपने नन्ही बालिका की सहृदयता का जो मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है वह सराहना से परे है।एक कवि दृष्टि ही इसे आँक इसका मूल्य बताती है।इस मर्मांतक शब्द चित्र में आपसी प्रेम और आत्मीयता की भावपूर्ण कथा छिपी है जिसे आपने बड़े कौशल से शब्दों में सहजता से जीवंत किया है।मानवीय संवेदनाओं के सूक्ष्म बिन्दुओं5को स्पर्श करती रचना के लिए बधाई स्वीकारें।शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ 🌺🌺🌹🌹
जवाब देंहटाएंरचना के मर्म को स्पष्ट करतीअनमोल प्रतिक्रिया हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी !
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