मंगलवार, 11 जुलाई 2017

भीख माँगती छोटी सी लड़की


little hands begging in helplessness

जूस(fruit juice) की दुकान पर,
   एक छोटी सी लड़की
एक हाथ से,  अपने से बड़े,
   फटे-पुराने,मैले-कुचैले
      कपड़े सम्भालती
एक हाथ आगे फैलाकर सहमी-सहमी सी,
         सबसे भीख माँगती ।

वह छोटी सी लड़की उस दुकान पर
     हाथ फैलाए भीख माँगती
आँखों में शर्मिंदगी,सकुचाहट लिए,
      चेहरे पर उदासी ओढे
ललचाई नजर से हमउम्र बच्चों को
       सर से पैर तक निहारती
वह छोटी सी लड़की ,खिसियाती सी,
         सबसे भीख माँगती ।

कोई कुछ रख देता हाथ में उसके ,
        वह नतमस्तक हो जाती
कोई "ना" में हाथ हिलाता,तो वह
       गुमसुम आगे बढ जाती ।
     
अबकी  जब उसने हाथ  बढाया,
    सामने एक सज्जन को पाया
सज्जन ने  निज हाथों  से अपनी,
      सारी जेबों को थपथपाया
लड़की आँखों में  उम्मीदें  लेकर,
       देख रही विनम्र वहाँ पर ।

सज्जन ने "ना" में हाथ हिलाकर,
   बच्ची की तरफ जब देखा
दिखाई दी  उनको भी  शायद,
     टूटते उम्मीदों  की  रेखा ।

बढ़ी तब आगे वह होकर  निराश
     रोका सज्जन ने उसे
बढा दिया उसकी तरफ, अपने
     जूस का भरा गिलास ।

लड़की   थोड़ा  सकुचाई, फिर
 मुश्किल से  नजर  उठाई ।
सज्जन की आँखों में उसे,
 कुछ दया सी नजर आई।
फिर हिम्मत उसने बढाई ।

देख रही थी यह सब मैं भी,
   सोच रही कुछ आगे
कहाँ है ये सब नसीब में उसके
   चाहे कितना भी भागे
जूस  देख  लालच  वश  झट से,
      ये गिलास झपट जायेगी
एक ही साँस में जूस गटक कर ये
      आजीवन इतरायेगी ।

परन्तु ऐसा हुआ नहीं, वह तो
   साधारण भाव में थी
जूस लिया कृतज्ञता से और,
  चुप आगे बढ दी ।

हाथ में जूस का गिलास लिए, वह
        चौराहे पार गई
अचरज वश मैं भी उसके फिर
        पीछे पीछे ही चल दी ।

चौराहे पर ; एक टाट पर बैठी औरत,
  दीन मलिन थी उसकी सूरत
नन्हा बच्चा गोद लिए वह, भीख
   माँगती हाथ बढ़ाकर ।

लड़की ने उस के पास जाकर,
 जूस का गिलास उसे थमाया ।
और उसने नन्हे बच्चे को बड़ी
     खुशी से जूस पिलाया ।

थोड़ा जूस पिया बच्चे ने, थोड़ा-सा
       फिर बचा दिया
माँ ने ममतामय होकर, लड़की को
       गिलास थमा दिया
बेटी ने गिलास लेकर, माँ के होठों
        से लगा लिया।

माँ ने एक घूँट छोटी सी पीकर,सर पर
     उसकी थपकी देकर
  बड़े लाड़ से पास बिठाया ,
फिरअपने हाथों से उसको, बचा हुआ
      वह जूस पिलाया
देख प्रेम की ऐसी लीला,मेरा भी
     हृदय भर आया ।

25 टिप्‍पणियां:

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(२२ -०३-२०२०) को शब्द-सृजन-१३"साँस"( चर्चाअंक -३६४८) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी

Sudha Devrani ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
मन की वीणा ने कहा…

सुधा जी अप्रतिम!
हृदय स्पर्शी रचना
मानवीय संवेदनाओं का गहन मंथन करती भावों को बहुत सुंदर उकेरा है आपने ।
अप्रतिम।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ अनीता जी चर्चा मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका...।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी!उत्साहवर्धन हेतु....
सस्नेह आभार।

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

SUJATA PRIYE ने कहा…

बेहद मार्मिक रचना सखी।बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

Kamini Sinha ने कहा…

बेहद मार्मिक ,जो दृश्य हजारो बार हर किसी ने गाहे -बगाहें देखा ही होगा उसका इतना सुंदर चित्रण जैसे सब कुछ होते दिखाई दे रहा हो ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन आपको

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद ओंकार जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद सुजाता जी !
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद सखी अनमोल प्रतिक्रिया मेरा उत्साह द्विगुणित कर देती है।
सस्नेह आभार।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी लिखी रचना सोमवार 5 सितम्बर ,2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

संगीता स्वरूप

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी, मानवीय संवेदना से परिपूर्ण बहुत सुंदर रचना। परिवार का यह प्रेमभाव ही ऐसे गरीबों भी प्रेम रूपी अमीरी का एहसास करवा देता है!

Sweta sinha ने कहा…

अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति सुधा जी।
जीवंत चित्रण।
सस्नेह।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.संगीता जी ! मेरी रचना चयन करने हेतु ।

Sudha Devrani ने कहा…

जी ज्योति जी , बहुत सही कहा आपने प्रेम रूपी अमीरी स इन्हीं गरीबों के पास बची है।
दिल से धन्यवाद एव आभार आपका ।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद प्रिय श्वेता जी !
सस्नेह आभार ।

विश्वमोहन ने कहा…

अत्यंत मर्मांतक और दिल को छूने वाली एक बोलती रचना।

Abhilasha ने कहा…

मर्म स्पर्शी चिंतन परक रचना

मन की वीणा ने कहा…

हृदय स्पर्शी दृश्य चित्रण।
बहुत सुंदर रचना सुधा जी।

रेणु ने कहा…

प्रिय सुधा जी,प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती।उसे कोई जरा सा जता दे तो इसकी कहानी लिखी जाती है।आपने नन्ही बालिका की सहृदयता का जो मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है वह सराहना से परे है।एक कवि दृष्टि ही इसे आँक इसका मूल्य बताती है।इस मर्मांतक शब्द चित्र में आपसी प्रेम और आत्मीयता की भावपूर्ण कथा छिपी है जिसे आपने बड़े कौशल से शब्दों में सहजता से जीवंत किया है।मानवीय संवेदनाओं के सूक्ष्म बिन्दुओं5को स्पर्श करती रचना के लिए बधाई स्वीकारें।शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ 🌺🌺🌹🌹

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद जवं आभार आ.विश्वमोहन जी !

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार अभिलाषा जी !

Sudha Devrani ने कहा…

रचना के मर्म को स्पष्ट करतीअनमोल प्रतिक्रिया हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी !

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