धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत
कुण्डलिया छंद चित्र साभार 'गूगल' से मूरत अद्भुत राम की, श्यामल सुन्दर रुप । स्मित अधर सरसिज नयन,शोभा अतुल अनूप । शोभा अतुल अनूप , वसन पीतांबर सोहे । गल भूषण बनमाल, छवि आलोक मनमोहे । निरखि सुधा सुध भूलि, मनोहर श्यामल सूरत। धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत । ******************** राम विराजे अवधपुरी, मची देश में धूम । राम राम जपते सभी, नाच रहे हैं झूम । नाच रहे हैं झूम, लगी गणतंत्र में झाँकी । राम हि बस देखें सुने, भक्ति राम की आँकी । कहे सुधा सुन मीत,भक्ति का डंका बाजे । कर्म करें निष्काम, हृदय में राम विराजे । पढ़िएभक्ति भाव पर आधारित मनहरण घनाक्षरी छंद में मेरी एक और रचना .. ● प्रभु फिर आइए