करते रहो प्रयास (दोहे)

चित्र
1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास ।     नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास ।   सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर ।   करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास ।    सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास ।    सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)

मैं मन्दोदरी बनूँ कैसे....?


boy at girls feet pleading for forgiveness with tears rolling down his eyes

       
प्रिय ! मैं हारा,
दुख का मारा 
लौट के आया 
    तेरे द्वार......

अब नयी सरकार
जागी जनता !!
भ्रष्टाचार पर मार...
    "तिस पर "
सी.बी.आई.के छापे
मुझ जैसे डर के भागे...

 पछतावा है मुझको अब
 प्रिय ! मैने तुझको छोड़ा...
 मतलबी निकले वे सब
 नाता जिनसे मैंने जोड़ा.....
आज मेरे दुख की इस घड़ी में
उन सबने मुझसे है मुँह मोड़ा !!!

अब बस तू ही है मेरा आधार !
मेरी धर्मपत्नी, मेरा पहला प्यार !
है तुझसे ही सम्भव,अब मेरा उद्धार ।

 तू क्षमाशील, तू पतिव्रता.... 
प्रिय ! तू  बहुत ही चरित्रवान,
सर्वगुण सम्पन्न है तू प्रिय !
तुझ पर प्रसन्न रहते भगवान !!

अब जप-तप या उपवास कर
प्रभु से माँगना ऐसा वरदान!!!
वे क्षमा मुझे फिर कर देंगे.....
मैं पुनः बन जाउँगा धनवान!!!

आखिर मैं तेरा पति-परमेश्वर हूँ
  कर्तव्य यही है फर्ज यही ,
प्रिय ! मैं ही तो तेरा ईश्वर हूँ !!!

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  हाँ ! सही कहा ; पतिदेव !
कर्तव्य और फर्ज भी है यही मेरा
और यही कामना भी रही सदैव कि-
सफलता मिले तुम्हें हर मुकाम पर
लेकिन मैं प्रभु से प्रार्थना ये करूँ कैसे ??
कपटी, स्वार्थी, अहंकारी और भ्रष्टाचारी
बन जाते हो तुम सफलता पाते ही ...!!!!
फिर मैं मन्दोदरी बनूँ  कैसे  ???......


                            चित्र : साभार गूगल से




      



टिप्पणियाँ

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (१९-०७-२०२०) को शब्द-सृजन-३०'प्रार्थना/आराधना' (चर्चा अंक-३७६७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. तहेदिल से धन्यवाद अनीता जी शब्दसृजन में मेरी रचना साझा करने हेतु।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  4. लाजवाब अभिव्यक्ति.. अति सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं
  5. लेकिन मैं प्रभु से प्रार्थना ये करूँ कैसे ??
    कपटी, स्वार्थी, अहंकारी और भ्रष्टाचारी
    बन जाते हो तुम सफलता पाते ही ...!!!!
    फिर मैं मन्दोदरी बनूँ कैसे ???......

    वाह !! बहुत खूब," मैं मन्दोदरी बनूँ कैसे " बनाना भी नहीं चाहिए। बेहतरीन अभिय्वक्ति सुधा जी,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
  6. कितना गहरा व्यंग्य है शालीनता से कितनी बड़ी बात कही सामायिक परिस्थितियों का भी सटीक रेखा चित्र।
    वाह रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी! उत्साहवर्धन हेतु।
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  7. अपनोंं के आशीष में ही ,
    अपना तो सारा जहाँ है ।
    यही सुखद अनुभूति है जीवन की 👌👌🌹🌹❤❤

    जवाब देंहटाएं

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