लौट आये फिर कहीं प्यार
सांझ होने को है,
रात आगे खड़ी।
बस भी करो अब शिकवे,
बात बाकी पड़ी ।
सुनो तो जरा मन की,
वह भी उदास है ।
ऐसा भी क्या तड़पना
अपना जब पास है ।
ना कर सको प्रेम तो,
चाहे झगड़ फिर लो ।
नफरत की दीवार लाँघो,
चाहे उलझ फिर लो ।
शायद सुलझ भी जाएंं,
खामोशियों के ये तार ।
लौट आयेंं बचपन की यादें,
लौट आये फिर कहीं प्यार ?
खाई भी गहरी सी है,
चलो पाट डालो उसे ।
सांझ ढलने से पहले,
बगिया बना लो उसे ।
नन्हींं नयी पौध से फिर,
महक जायेगा घर-बार ।
लौट आयें बचपन की यादें,
लौट आये फिर कहीं प्यार ?
अहम को बढाते रहोगे,
स्वयं को भुलाते रहोगे ।
वक्त हाथों से फिसले तभी,
कर न पाओगे तुम कुछ भी सार ।
रात आगे खड़ी।
बस भी करो अब शिकवे,
बात बाकी पड़ी ।
सुनो तो जरा मन की,
वह भी उदास है ।
ऐसा भी क्या तड़पना
अपना जब पास है ।
ना कर सको प्रेम तो,
चाहे झगड़ फिर लो ।
नफरत की दीवार लाँघो,
चाहे उलझ फिर लो ।
शायद सुलझ भी जाएंं,
खामोशियों के ये तार ।
लौट आयेंं बचपन की यादें,
लौट आये फिर कहीं प्यार ?
खाई भी गहरी सी है,
चलो पाट डालो उसे ।
सांझ ढलने से पहले,
बगिया बना लो उसे ।
नन्हींं नयी पौध से फिर,
महक जायेगा घर-बार ।
लौट आयें बचपन की यादें,
लौट आये फिर कहीं प्यार ?
अहम को बढाते रहोगे,
स्वयं को भुलाते रहोगे ।
वक्त हाथों से फिसले तभी,
कर न पाओगे तुम कुछ भी सार ।
लौट आयें बचपन की यादें
लौट आये फिर कहीं प्यार ?
ढले साँझ समझे अगर
बस सिर्फ पछताओगे
बस सिर्फ पछताओगे
बस में न होगा समय
फिर क्या तुम कर पाओगे
आ भी जाओ जमीं कह रही
अब गिरा दो अहम की दीवार
अब गिरा दो अहम की दीवार
लौट आयें बचपन की यादें
लौट आये फिर कहीं प्यार ?
लौट आओ वहींं से जहाँँ हो,
बना लो पुनः परिवार
लौट आयेंं बचपन की यादें,
लौट आये फिर कहीं प्यार ?
चित्र साभार गूगल से......
टिप्पणियाँ
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
व्वाहहहहह..
आभार..
सादर..
जीवन की दोपहर में
धूप की आपाधापी में
जो खो गया
साँझ होने के पहले
गर मिल जाए
रात का मायना बदल जाए।
---
सुंदर अभिव्यक्ति सुधा जी।
सस्नेह।
चलो पाट डालो उसे ।
सांझ ढलने से पहले,
बगिया बना लो उसे ।
नन्हींं नयी पौध से फिर,
महक जायेगा घर-बार ।
लौट आयें बचपन की यादें,
लौट आये फिर कहीं प्यार ?
एक समृद्ध परिवार संस्था जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। नव चेतना भरती सुंदर सराहनीय रचना । बधाई सुधा जी ।
गर मिल जाए
रात का मायना बदल जाए।
बहुत सही...तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
बस सिर्फ पछताओगे
बस में न होगा समय
फिर क्या तुम कर पाओगे
एक पल ठहर कर यही तो नहीं सोचते और अपने ही हाथों तोड़ देते खुशियों का घरौंदा, बेहद मार्मिक सृजन सुधा जी 🙏
सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।