धन्य-धन्य कोदंड (कुण्डलिया छंद)

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💐 विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं💐 पुरुषोत्तम श्रीराम का, धनुष हुआ कोदंड । शर निकले जब चाप से, करते रोर प्रचंड ।। करते रोर प्रचंड, शत्रुदल थर थर काँपे। सुनकर के टंकार, विकल हो बल को भाँपे ।। कहे सुधा कर जोरि, कर्म निष्काम नरोत्तम । सर्वशक्तिमय राम,  मर्यादा पुरुषोत्तम ।। अति गर्वित कोदंड है,  सज काँधे श्रीराम । हुआ अलौकिक बाँस भी, करता शत्रु तमाम ।। करता शत्रु तमाम, साथ प्रभुजी का पाया । कर भीषण टंकार, सिंधु का दर्प घटाया ।। धन्य धन्य कोदंड, धारते जिसे अवधपति । धन्य दण्डकारण्य, सदा से हो गर्वित अति । सादर अभिनंदन 🙏🙏 पढ़िए प्रभु श्रीराम पर एक और रचना मनहरण घनाक्षरी छंद में ●  आज प्राण प्रतिष्ठा का दिन है

सुख-दुख


sun behind trees


   दुख एक फर्ज है,
फर्ज तो है एहसान नहीं ।
  फर्ज है हमारे सर पर,
कोई भिक्षा या दान नहीं ।

 दुख सहना किस्मत के खातिर,
कुछ सुख आता पर दुख आना फिर ।
 दुख सहना किस्मत के खातिर ।

    दुख ही तो है सच्चा साथी
सुख तो अल्प समय को आता है ।
    मानव जब तन्हा  रहता है,
दुख ही तो साथ निभाता है ।

फिर दुख से यूँ घबराना क्या ?
सुख- दुख में भेद  बनाना क्या ?
जीवन है तो सुख -दुख भी हैं,
ख्वाबों मे सुख यूँ सजाना क्या ?

एक  सिक्के के ही ये दो पहलू
सुख तो अभिलाषा में अटका
दुख में अटकलें लगाना क्या ?

 मानव रूपी अभिनेता हम
सुख-दुख अपने किरदार हुए. ।
जो मिला सहज स्वीकार करें 
सुख- दुख में हम इकसार बने ।

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. मानव रूपी अभिनेता हम
    सुख-दुख अपने किरदार हुए. ।
    जो मिला सहज स्वीकार करें
    सुख- दुख में हम इकसार बने ।

    बहुत ही मुश्किल होता है इस बात को स्वीकार करना, यदि कर लिया तो जीवन सहज ना हो जाए। हृदय स्पर्शी सृजन सुधा जी 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी, कामिनी जी सही कहा कि यदि कर लिया तो जीवन सहज हो जाय ।
      अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।

      हटाएं
  3. सुख और दुख के समन्वय को दर्शाता सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं

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