खडा था वह आँगन के पीछे
लम्बे ,सतत प्रयास और अथक,
लम्बे ,सतत प्रयास और अथक,
इन्तजार के बाद आयी खुशियाँ....
शाखा -शाखा खिल उठी थी,
खूबसूरत फूलों से....
मंद हवा के झोकों के संग,
होले-होले.....
जैसे पत्ती-पत्ती खुशियों का,
जश्न मनाती......
धीमी-धीमी हिलती-डुलती,
खिलते फूलो संग......
जैसे मधुर-मधुर सा गीत,
गुनगुनाती.........
खुशियाँ ही खुशियाँ थी हर-पल,
दिन भी थे हसीन......
चाँदनी में झूमती, मुस्कुराती टहनी,
रातें भी थी रंगीन......
आते-जाते पंथी भी मुदित होते,
खूबसूरत फूलोंं पर.....
कहते "वाह ! खिलो तो ऐसे जैसे ,
खिला सामने गुलमोहर"......
विशाल गुलमोहर हर्षित हो प्रसन्न,
देखे अपनी खिलती सुन्दर काया,
नाज किये था मन ही मन......
कितना प्यारा था वह क्षण !.........
खुशियों की दोपहर अभी ढली नहीं कि -
दुख का अंधकार तूफान बनकर ढा गया,
बेचारे गुलमोहर पे....
लाख जतन के बाद भी---
ना बचा पाया अपनी खूबसूरत शाखा,
भंयकर तूफान से.......
अधरों की वह मुस्कुराहट अधूरी सी ,
रह गयी.....
जब बडी सी शाखा टूटकर जमीं पर ,
ढह गयी...........
तब अवसाद ग्रस्त, ठूँठ-सा दिखने लगा वह
अपना प्रिय हिस्सा खोकर.......
फिर हिम्मत रख सम्भाला खुद को नयी-
उम्मीद लेकर.........
फिर हिम्मत रख सम्भाला खुद को नयी-
उम्मीद लेकर.........
करेगा फिर अथक इंंतजार खुशियों का
नयी शाखाएं आने तक...।
पुनः सतत प्रयासरत होकर.....
आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर..........
आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर..........
37 टिप्पणियां:
अधरों की वह मुस्कुराहट अधूरी सी ,
रह गयी.....
जब बडी सी शाखा टूटकर जमीं पर ,
ढह गयी...........
बहुत खूब.... सादर नमन आप को
बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी जी !
सादर आभार...
वाह!!सुधा जी ,बहुत खूब!!
बहुत बहुत धन्यवाद, शुभा जी !
सस्नेह आभार...
बहुत खूब......
बेहतरीन रचना ...आदरणीया
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार, रविन्द्र जी...
आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर...
अवसाद से उत्थान पर सार्थक रचना ,आपकी लेखनी को नमन ।
हार्दिक धन्यवाद शशि जी !
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है...
सादर आभार।
वाह बहुत खूब सुधा जी
वाह सराहनीय रचना आशा का दामन थाम के अथक प्रयास रत। सुंदर अप्रतिम।
पुनः सतत प्रयासरत होकर.....
आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर..........
बहुत सुन्दर...,
प्रिय सुधा बहन - गुलमोहर के मध्यम से जीवन के उजले धुंधले पक्ष को बखूबी प्रस्तुत करती इस रचना में बहुत ही सुंदर संदेश समाहित है | ये पंक्तियाँ तोबहुत ही प्रेरक हैं -
पुनः सतत प्रयासरत होकर.....
आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर.........बहुत खूब यही आशा जीवन को गिर कर उठने और पथ पर अग्रसर रहने के लिए उत्साहित करती ही | सस्नेह आभार और शुभ कामनाएं सखी |.
हार्दिक धन्यवाद, एवं आभार रितु जी...
बहुत बहुत धन्यवाद, कुसुम जी...
सस्नेह आभार।
बहुत बहुत धन्यवाद, एवं आभार मीना जी...
सारगर्भित प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन हेतु हृदयतल से धन्यवाद रेनु जी...
सस्नेह आभार।
विशाल गुलमोहर हर्षित हो प्रसन्न,
देखे अपनी खिलती सुन्दर काया,
नाज किये था मन ही मन......बहुत
कितना प्यारा था वह क्षण !.........बहुत सुंदर रचना
आवश्यक सूचना :
सभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html
बहुत बहुत बधाई ध्रुव जी!
अवश्य शेयर करेंगे..।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१३ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपका हृदयतल से धन्यवाद, श्वेता जी !
सस्नेह आभार....
बहुत ही बेहतरीन रचना सखी
बहुत बहुत धन्यवाद सखी!
सस्नेह आभार....
खुशियों की दोपहर अभी ढली नहीं कि -
दुख का अंधकार तूफान बनकर ढा गया,
बेचारे गुलमोहर पे....
बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट.....शुभकामनायें।
आभारी हूँ संजय जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका....।
खुशियों की दोपहर अभी ढली नहीं कि -
दुख का अंधकार तूफान बनकर ढा गया,
बेचारे गुलमोहर पे....,,,, बहुत भावपूर्ण रचना ।आदरणीया शुभकामनाएँ ।
हार्दिक धन्यवाद आ. मधुलिका जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
आज आपके प्रोफाइल पर आपकी फोटो देखकर मन मुदित हो गया सुधा जी | आप बहुत प्यारी हैं | वैसी ही निश्छल जैसी आपके शब्दों में आपकी छवि दिखती थी | आपको बहुत बहुत प्यार मेरा ! आज एक रहस्य से पर्दा उठ गया कि हमारी प्यारी सुधा जी आखिर दिखती कैसी हैं | बेक बार फिर शुभकामनाएं और स्नेह आपको | यूँ ही निश्छल रह अपने सृजन में रत रहिये |
स्नेहासिक्त सराहना पाकर अपार प्रसंन्नता हुई सखी!ब्लॉग की सैटिंग में कुछ कमियां बतायी जा रही है गूगल से...।ज्यादा तो मुझे समझ नहीं आ रही, जो समझ आयी उसे ठीक करने की कोशिश कर रही हूँ ।बस इसीलिए....
आपको भी मेरा ढ़ेर सारा प्यार। यूँ ही सानिध्य बनाए रखना सखी।
अचानक ही आपकी पुरानी पोस्ट सामने आ गयी । वो भी गुलमोहर ..... मेरा प्रिय विषय ।
अवसाद झेलते हुए भी आशान्वित रहना ..... सुंदर विचार के साथ सुंदर कथ्य ।
मेरी पुरानी पोस्ट पर आपका आना और स्नेहासिक्त आशीर्वचनों से मुझे प्रोत्साहित करना किसी पुरस्कार से कम नहीं है मेरे लिए।....तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद आपका।
जय मां हाटेशवरी.......
आपने लिखा....
हमने पढ़ा......
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें.....
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना.......
दिनांक 25/08/2021 को.....
पांच लिंकों का आनंद पर.....
लिंक की जा रही है......
आप भी इस चर्चा में......
सादर आमंतरित है.....
धन्यवाद।
सुन्दर रचना
आभारी हूँ आदरणीय कुलदीप जी मेरी रचना को पसंद कर मंच पर स्थान देने के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद।
तहेदिल से धन्यवाद आ.विभा जी!
बहुत लाजवाब! गजब..! कमाल लिखा है....!
बहुत लाजवाब! गजब..! कमाल लिखा है....!
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