करते रहो प्रयास (दोहे)
1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास । नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास । सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर । करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास । सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास । सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)

बहुत सुंदर भावपूर्ण, लाज़वाब रचनात्मक प्रयोग कुंडलियां दी।
जवाब देंहटाएंशुभ दशहरा
सस्नेह
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ अक्टूबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुंदर
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंवाह !! मनमोहक सृजन ।अति सुन्दर कुण्डलियाँ सुधा जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वर्णन ... धनुष को बाखूबी लिखा आपने ...
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