रविवार, 4 जून 2023

ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कराना आ गया






 दुपहरी बेरंग बीती सांझ हर रंग भा गया ।
ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कुराना आ गया ।


अजब तेरे नियम देखे,गजब तेरे कायदे ।

रोते रोते समझ आये,अब हँसी के फ़ायदे ।

भीगी पलकों संग लब को खिलखिलाना आ गया ।

 ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कुराना आ गया ।


क्यों कहें संघर्ष तुझको, ये तो तेरा सिलसिला ।

नियति निर्धारित सभी , फिर क्या करें तुझसे गिला ।

 सत्य को स्वीकार कर जीना जिलाना आ गया ।

 ज़िन्दगी !  समझा तुझे तो मुस्कुराना आ गया


हो पूनम की रात सुन्दर या तिमिर घनघोर हो ।

राहें हों कितनी अलक्षित, आँधियाँ चहुँ ओर हो ।

हर हाल में मेरे 'साँवरे' तेरे गुण गुनाना आ गया ।

ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कराना आ गया ।


21 टिप्‍पणियां:

kuldeep thakur ने कहा…

आप ने लिखा.....
हमने पड़ा.....
इसे सभी पड़े......
इस लिये आप की रचना......
दिनांक 05/06/2023 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की जा रही है.....
इस प्रस्तुति में.....
आप भी सादर आमंत्रित है......


विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बढ़िया भाव

yashoda Agrawal ने कहा…

बेहतरीन..
भाई कुलदीप जी पता नहीं कैसे भूल गए सूचित करना
आज पांच लिंकों का आनंद की शोभा बढ़ाती रचना
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.कुलदीप जी !मेरी रचना पाँच लिंकों के आनंद मंच के लिए चयन करने हेतु ।

Sudha Devrani ने कहा…

जी, सादर आभार एवं धन्यवाद आपका 🙏🙏

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार सखी !आपने बताया तो स्पैम से लायी हूँ अभी सूचना...
आजकल ये स्पैम भी न...

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

वाह !
हर फ़िक्र को जब कोई धुंए में उड़ाना सीख जाता है
तो
फिर उसे ग़र्दिश में भी मुस्कुराना आ जाता है.

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार एवन धन्यवाद आ.सर !🙏🙏🙏🙏

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

हो पूनम की रात सुन्दर या तिमिर घनघोर हो ।

राहें हों कितनी अलक्षित, आँधियाँ चहुँ ओर हो ।

हर हाल में मेरे 'साँवरे' तेरे गुण गुनाना आ गया ।

ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कराना आ गया ।
बहुत सुन्दर रचना।इसीलिए गुणातीत को गुनगुनाते रहिए और अपने में मगन रहिए।

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन सुधा जी,
सकारात्मक भाव जब उदित होते हैं सचमुच जिंदगी भी मुस्कुराने लगती है और जीना सहज सरल लगता है।
सस्नेह।

बेनामी ने कहा…

हर हाल में मुस्कुराना ज़रूरी है!
सकारात्मक सुंदर भाव को उत्प्रेरित करता सुंदर गीत!

विश्वमोहन ने कहा…

वाह! बहुत सुंदर दर्शन-सुधा!!!

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

ज़िन्दगी को समझ लिया तो सब आसान.. बहुत अच्छा सुन्दर गीत विभा जी

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

क्षमा करें सुधा जी। भूलवश विभा जी लिख गया

बेनामी ने कहा…

जिन्दगी समझा तुझे तो मुस्कराना आ गया ..बेहतरीन

शुभा ने कहा…

वाह!सुधा जी ,क्या बात कही है ...बहुत खूब!

Alaknanda Singh ने कहा…

बेहद शानदार रचना, सुधा जी...
सत्य को स्वीकार कर जीना जिलाना आ गया ।
ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कुराना आ गया ।...प्रेरणादायी

कविता रावत ने कहा…

सच है जिंदगी क्या होती है यदि यह समय पर समझ लिया तो फिर जिंदगी का रोना बचेगा ही नहीं
बहुत सुन्दर

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

हर हाल में मुस्कुराना ज़रूरी है!
सकारात्मक सुंदर भाव को उत्प्रेरित करता सुंदर गीत!

Madhulika Patel ने कहा…


दुपहरी बेरंग बीती सांझ हर रंग भा गया ।
ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कुराना आ गया ।


अजब तेरे नियम देखे,गजब तेरे कायदे ।

रोते रोते समझ आये,अब हँसी के फ़ायदे ।

भीगी पलकों संग लब को खिलखिलाना आ गया ।

ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कुराना आ गया ।,,,,,बहुत सुंदर रचना ज़िंदगी को समझना ही जीवन है ।

MANOJ KAYAL ने कहा…

हो पूनम की रात सुन्दर या तिमिर घनघोर हो ।

राहें हों कितनी अलक्षित, आँधियाँ चहुँ ओर हो ।

हर हाल में मेरे 'साँवरे' तेरे गुण गुनाना आ गया ।

ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कराना आ गया ।


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