चल जिंदगी तुझको चलना ही होगा
चित्र, साभार pixabay से..
हर इक इम्तिहा से गुजरना ही होगा
चल जिंदगी तुझको चलना ही होगा
रो-रो के काटें , खुशी से बिताएं
है जंग जीवन,तो लड़ना ही होगा
बहुत दूर साहिल, बड़ी तेज धारा
संभलके भंवर से निकलना ही होगा
शरद कब तलक गुनगुनी यूँ रहेगी
धरा को कुहासे से पटना ही होगा
मधुमास मधुरिम सा महके धरा पर
तो पतझड़ से फिर-फिर गुजरना ही होगा
ये 'हालात' मौसम से, बनते बिगड़ते
डर छोड़ डट आगे बढ़ना ही होगा
बिखरना नहीं अब निखरना है 'यारा'
कनक सा अगन में तो तपना होगा ।।
टिप्पणियाँ
बिखरना नहीं अब निखरना है यारा
कनक सा अगन में तो तपना ही होगा ।
बहुत खूब!
बिखरना नहीं अब निखरना है 'यारा'
कनक सा अगन में तो तपना होगा ।।
लाजवाब ।
आपकी लिखी रचना शुक्रवार 3 दिसंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बिखरना नहीं अब निखरना है 'यारा'
आभार..
सादर..
है जंग जीवन,तो लड़ना ही होगा
वाह क्या बात कही है एक एक पंक्ति बहुत ही शानदार है
जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हिम्मत को बांधती हुई
बहुत ही ऊर्जावान रचना!
कनक सा अगन में तो तपना होगा ।।
वाह !! बहुत खूब !!
बेहतरीन भावों से सजी सुन्दर कृति ।
कनक सा अगन में तो तपना होगा ।।.. आशा का संचार करती सुंदर उत्कृष्ट रचना ।बहुत शुभकामनाएं सुधा जी ।
तहेदिल से धन्यवाद आपका।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सादर आभार।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।