बरसी अब ऋतुओं की रानी
झटपट सबने छतरी तानी
भरने लगा सड़कों पे पानी
धरा ने ओढ़ी चूनर धानी
नभ में काले बादल छाये
गरज-गरज के इत-उत धाये
नाचे मोर पंख फैलाये
कोयल मीठी धुन में गाये
गर्मी से कुछ राहत पाकर
दुनिया सारी चहक उठी
बूँदों की सरगोशी सुनकर
सोंधी मिट्टी महक उठी
पी-पी रटने लगा पपीहा
दादुर भी टर -टर बोला
झन झन कर झींगुर ने भी
अब अपना मुँह है खोला
पल्लव-पुष्पों की मुस्कान
हरियाये हैं खेत-खलिहान
घर-घर में पकते पकवान
हर्षित हो गये सभी किसान ।
34 टिप्पणियां:
वाह! पावस की आहट सुनाई दे गई, इन सरस शब्दों की बारिश में।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23.6.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4469 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
धन्यवाद
दिलबाग
मुझे तो बचकानी सी लगी, झूठी प्रशंसा !! ना बाबा ना
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 23 जून 2022 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
जी, हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका ।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. विर्क जी मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु ।
जी शायद आपके यहाँ नहीं हुई अभी बारिश।
पढ़ने हेतु अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. रविन्द्र जी मेरी रचना चयन करने हेतु ।
बहुत सुंदर मधुर रचना
वर्षा ऋतु का मनोहारी अंकन । सुन्दर सृजन सुधा जी।
बहुत सुन्दर सरस सामयिक प्रस्तुति
पावस ऋतु का सुंदर वर्णन
गर्मी से कुछ राहत पाकर
दुनिया सारी चहक उठी
बूँदों की सरगोशी सुनकर
सोंधी मिट्टी महक उठी
बुंदों की ऐसी रिमझिम की आपने जिससे तन और मन दोनों को सुकून मिल गया, वैसे मुम्बई में भी रिमझिम की शुरुआत हो गई है और मौसम खुशनुमा हो गया है, बहुत बहुत बधाई सुधा जी इस मनभावन रचना के लिए 🙏
वाह! बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
सादर
बहुत बहुत सुन्दर बहुत बहुत मधुर
शुरवाती बारिश का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है आपने, सुधा दी।
बहुत अच्छी लगी यह कविता!!
बिन बारिश के बरसात का अहसास कराती सुंदर रचना।
हम तो अभी कर रहे वर्षा का इंतज़ार
आपकी रचना ने चला दी ठंडी बयार ।
बारिश का आनंद आ गया। बहुत बढ़िया🌹🌹
दिल से धन्यवाद भारती जी !
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद मीनाजी।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कविता जी !
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार अनिता जी !
जी, कामिनी जी तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
अत्यंत आभार प्रिय अनीता जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. आलोक जी !
तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी !
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद संजय जी !
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद जिज्ञासा जी !
बस बारिश भी आती ही होगी आपके यहाँ भी ।
जी, बस आपके यहाँ भी आती ही होगी ठंडी बयार...बरसेगी बारिश खत्म होगा इंतजार
दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
हृदयतल से धन्यवाद विभा जी !
वाह !बरखा के आगमन का कितना सुंदर संजय मनभावन वर्णन।
सुंदर सृजन।
एक टिप्पणी भेजें