बुधवार, 22 जून 2022

बरसी अब ऋतुओं की रानी

Rainy season


बरसी अब ऋतुओं की रानी

झटपट सबने छतरी तानी

भरने लगा सड़कों पे पानी

धरा ने ओढ़ी चूनर धानी


नभ में काले बादल  छाये

गरज-गरज के इत-उत धाये

नाचे मोर पंख फैलाये

कोयल मीठी धुन में गाये


गर्मी से कुछ राहत पाकर

दुनिया सारी चहक उठी

बूँदों की सरगोशी सुनकर

सोंधी मिट्टी महक उठी


पी-पी रटने लगा पपीहा

दादुर भी टर -टर बोला

झन झन कर झींगुर ने भी 

अब अपना मुँह है खोला


पल्लव-पुष्पों की मुस्कान

हरियाये हैं खेत-खलिहान

घर-घर में पकते पकवान

हर्षित हो गये सभी किसान ।





34 टिप्‍पणियां:

विश्वमोहन ने कहा…

वाह! पावस की आहट सुनाई दे गई, इन सरस शब्दों की बारिश में।

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23.6.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4469 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
धन्यवाद
दिलबाग

बेनामी ने कहा…

मुझे तो बचकानी सी लगी, झूठी प्रशंसा !! ना बाबा ना

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 23 जून 2022 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!

Sudha Devrani ने कहा…

जी, हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका ।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. विर्क जी मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु ।

Sudha Devrani ने कहा…

जी शायद आपके यहाँ नहीं हुई अभी बारिश।
पढ़ने हेतु अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. रविन्द्र जी मेरी रचना चयन करने हेतु ।

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर मधुर रचना

Meena Bhardwaj ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Meena Bhardwaj ने कहा…

वर्षा ऋतु का मनोहारी अंकन । सुन्दर सृजन सुधा जी।

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर सरस सामयिक प्रस्तुति

Anita ने कहा…

पावस ऋतु का सुंदर वर्णन

Kamini Sinha ने कहा…

गर्मी से कुछ राहत पाकर

दुनिया सारी चहक उठी

बूँदों की सरगोशी सुनकर

सोंधी मिट्टी महक उठी

बुंदों की ऐसी रिमझिम की आपने जिससे तन और मन दोनों को सुकून मिल गया, वैसे मुम्बई में भी रिमझिम की शुरुआत हो गई है और मौसम खुशनुमा हो गया है, बहुत बहुत बधाई सुधा जी इस मनभावन रचना के लिए 🙏

अनीता सैनी ने कहा…

वाह! बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
सादर

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर बहुत बहुत मधुर

Jyoti Dehliwal ने कहा…

शुरवाती बारिश का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है आपने, सुधा दी।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत अच्छी लगी यह कविता!!

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बिन बारिश के बरसात का अहसास कराती सुंदर रचना।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हम तो अभी कर रहे वर्षा का इंतज़ार
आपकी रचना ने चला दी ठंडी बयार ।

डॉ 0 विभा नायक ने कहा…

बारिश का आनंद आ गया। बहुत बढ़िया🌹🌹

Sudha Devrani ने कहा…

दिल से धन्यवाद भारती जी !

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद मीनाजी।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कविता जी !

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार अनिता जी !

Sudha Devrani ने कहा…

जी, कामिनी जी तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार प्रिय अनीता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. आलोक जी !

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी !

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद संजय जी !

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद जिज्ञासा जी !
बस बारिश भी आती ही होगी आपके यहाँ भी ।

Sudha Devrani ने कहा…

जी, बस आपके यहाँ भी आती ही होगी ठंडी बयार...बरसेगी बारिश खत्म होगा इंतजार
दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद विभा जी !

मन की वीणा ने कहा…

वाह !बरखा के आगमन का कितना सुंदर संजय मनभावन वर्णन।
सुंदर सृजन।

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