बरसी अब ऋतुओं की रानी
बरसी अब ऋतुओं की रानी
झटपट सबने छतरी तानी
भरने लगा सड़कों पे पानी
धरा ने ओढ़ी चूनर धानी
नभ में काले बादल छाये
गरज-गरज के इत-उत धाये
नाचे मोर पंख फैलाये
कोयल मीठी धुन में गाये
गर्मी से कुछ राहत पाकर
दुनिया सारी चहक उठी
बूँदों की सरगोशी सुनकर
सोंधी मिट्टी महक उठी
पी-पी रटने लगा पपीहा
दादुर भी टर -टर बोला
झन झन कर झींगुर ने भी
अब अपना मुँह है खोला
पल्लव-पुष्पों की मुस्कान
हरियाये हैं खेत-खलिहान
घर-घर में पकते पकवान
हर्षित हो गये सभी किसान ।
टिप्पणियाँ
धन्यवाद
दिलबाग
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
पढ़ने हेतु अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।
दुनिया सारी चहक उठी
बूँदों की सरगोशी सुनकर
सोंधी मिट्टी महक उठी
बुंदों की ऐसी रिमझिम की आपने जिससे तन और मन दोनों को सुकून मिल गया, वैसे मुम्बई में भी रिमझिम की शुरुआत हो गई है और मौसम खुशनुमा हो गया है, बहुत बहुत बधाई सुधा जी इस मनभावन रचना के लिए 🙏
सादर
आपकी रचना ने चला दी ठंडी बयार ।
बस बारिश भी आती ही होगी आपके यहाँ भी ।
दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
सुंदर सृजन।