धन्य-धन्य कोदंड (कुण्डलिया छंद)

सैनिक
रक्षा करते देश की, सैनिक वीर जवान ।
लड़ते लड़ते देश हित, करते निज बलिदान ।
ओढ़ तिरंगा ले विदा, जाते अमर शहीद,
नमन शहीदों को करे, सारा हिंदुस्तान ।।
संत
संत समागम कीजिए, मिटे तमस अज्ञान ।
राह सुगम होंगी सभी, मिले सत्य का ज्ञान ।
अमल करे उपदेश जो, होगा जीवन धन्य,
मिले परम आनंद तब, खिले मनस उद्यान ।
किसान
खून पसीना एक कर , खेती करे किसान ।
अन्न प्रदाता है वही, देना उसको मान ।
सहता मौसम मार वह, झेले कष्ट तमाम,
उसके श्रम से पल रहा सारा हिंदुस्तान ।
सैनिक, संत, किसान
1) सीमा पर सैनिक खड़े, खेती करे किसान ।
संत शिरोमणि से सदा, मिलता सबको ज्ञान।
गर्वित इन पर देश है , परहित जिनका ध्येय,
वंदनीय हैं सर्वदा, सैनिक संत किसान ।।
2) सैनिक संत किसान से, गर्वित हिंदुस्तान ।
फर्ज निभाते है सदा, लिये हाथ में जान ।
रक्षण पोषण धर्म की, सेवा पर तैनात,
करते उन्नति देश की, सदा बढ़ाते मान ।।
हार्दिक अभिनंदन आपका 🙏
पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर
वाह !! अति सुन्दर सृजन । विविधता से परिपूर्ण अनूठी अभिव्यक्ति सुधा जी !
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद मीना जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 26 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
हार्दिक धन्यवाद आ.रविंद्र जी !मेरी रचना चयन करने हेतु ।
हटाएंसादर आभार ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर आभार हरीश जी !
हटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आ.जोशी जी !
हटाएंसैनिक, संत और किसान देश और समाज के हित में दिन-रात लगे रहते हैं, सुंदर दोहे!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनीता जी !
हटाएंबहुत हि सुंदर मुक्तक, सुधा दी।
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