धन्य-धन्य कोदंड (कुण्डलिया छंद)

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💐 विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं💐 पुरुषोत्तम श्रीराम का, धनुष हुआ कोदंड । शर निकले जब चाप से, करते रोर प्रचंड ।। करते रोर प्रचंड, शत्रुदल थर थर काँपे। सुनकर के टंकार, विकल हो बल को भाँपे ।। कहे सुधा कर जोरि, कर्म निष्काम नरोत्तम । सर्वशक्तिमय राम,  मर्यादा पुरुषोत्तम ।। अति गर्वित कोदंड है,  सज काँधे श्रीराम । हुआ अलौकिक बाँस भी, करता शत्रु तमाम ।। करता शत्रु तमाम, साथ प्रभुजी का पाया । कर भीषण टंकार, सिंधु का दर्प घटाया ।। धन्य धन्य कोदंड, धारते जिसे अवधपति । धन्य दण्डकारण्य, सदा से हो गर्वित अति । सादर अभिनंदन 🙏🙏 पढ़िए प्रभु श्रीराम पर एक और रचना मनहरण घनाक्षरी छंद में ●  आज प्राण प्रतिष्ठा का दिन है

सैनिक, संत, किसान (दोहा मुक्तक)

Sainik, sant, kisan poem


सैनिक

रक्षा करते देश की, सैनिक वीर जवान ।

लड़ते लड़ते देश हित, करते निज बलिदान ।

ओढ़ तिरंगा ले विदा,  जाते अमर शहीद,

नमन शहीदों को करे, सारा हिंदुस्तान ।।


संत

संत समागम कीजिए, मिटे तमस अज्ञान ।

राह सुगम होंगी सभी, मिले सत्य का ज्ञान ।

अमल करे उपदेश जो, होगा जीवन धन्य,

मिले परम आनंद तब, खिले मनस उद्यान ।


किसान

खून पसीना एक कर , खेती करे किसान

अन्न प्रदाता है वही, देना उसको मान ।

सहता मौसम मार वह, झेले कष्ट तमाम,

उसके श्रम से पल रहा सारा हिंदुस्तान ।




        सैनिक, संत, किसान

1) सीमा पर सैनिक खड़े, खेती करे किसान ।

   संत शिरोमणि से सदा,  मिलता सबको ज्ञान।

   गर्वित इन पर देश है , परहित जिनका ध्येय,

   वंदनीय हैं सर्वदा, सैनिक संत किसान ।।



2) सैनिक संत किसान से,  गर्वित हिंदुस्तान ।

    फर्ज निभाते है सदा,  लिये हाथ में जान ।

    रक्षण पोषण धर्म की,  सेवा पर तैनात,

     करते उन्नति देश की,  सदा बढ़ाते मान ।।



हार्दिक अभिनंदन आपका 🙏

पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर

● मुक्तक - नसीब


टिप्पणियाँ

  1. वाह !! अति सुन्दर सृजन । विविधता से परिपूर्ण अनूठी अभिव्यक्ति सुधा जी !

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 26 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद आ.रविंद्र जी !मेरी रचना चयन करने हेतु ।
      सादर आभार ।

      हटाएं
  3. सैनिक, संत और किसान देश और समाज के हित में दिन-रात लगे रहते हैं, सुंदर दोहे!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत हि सुंदर मुक्तक, सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं

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