श्राद्ध में करें तर्पण (मनहरण घनाक्षरी)

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  श्राद्ध में करें तर्पण, श्रद्धा मन से अर्पण, पितरों को याद कर, पूजन कराइये । ब्राह्मण करायें भोज, उन्नति मिलेगी रोज, दान, दक्षिणा, सम्मान, शीष भी नवाइये । पिण्डदान का विधान, पितृदेव हैं महान, बैतरणी करें पार  गयाजी तो जाइये । तर्पण से होगी मुक्ति, श्राद्ध है पावन युक्ति, पितृलोक से उद्धार, स्वर्ग पहुँचाइये । पितृदेव हैं महान, श्राद्ध में हो पिण्डदान, जवा, तिल, कुश जल, अर्पण कराइये । श्राद्ध में जिमावे काग, श्रद्धा मन अनुराग, निभा सनातन रीत, पितर मनाइये । पितर आशीष मिले वंश खूब फूले फले , सुख समृद्धि संग, खुशियाँ भी पाइये । सेवा करें बृद्ध जन, बात सुने पूर्ण मन, विधि का विधान जान, रीतियाँ निभाइये । हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और मनहरण घनाक्षरी छंद ●  प्रभु फिर आइए

ज्ञान के भण्डार गुरुवर

 ख्याति लब्ध पत्रिका 'अनुभूति' के 'अपनी पाठशाला' विशेषांक में मेरी रचना 'ज्ञान के भण्डार गुरुवर ' प्रकाशित करने हेतु आ.पूर्णिमा वर्मन दीदी का हार्दिक आभार ।


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ज्ञान के भंडार गुरुवर, 

पथ प्रदर्शक है हमारे ।

डगमगाती नाव जीवन,

 खे रहे गुरु के सहारे ।


गुरु की पारस दृष्टि से ही , 

मन ये कुंदन सा निखरता ।

कोरा कागज सा ये जीवन, 

गुरु की गुरुता से महकता ।

देवसम गुरुदेव को हम, 

दण्डवत कर, पग-पखारें  ।

ज्ञान के भंडार गुरुवर, 

पथ प्रदर्शक है हमारे ।


गुरु कृपा से ही तो हमने ,

नव ग्रहों का सार जाना ।

भू के अंतस को भी समझा, 

व्योम का विस्तार जाना ।

अनगिनत महिमा गुरु की, 

पा कृपा, जीवन सँवारें ।

ज्ञान के भंडार गुरुवर, 

पथ प्रदर्शक है हमारे ।


तन में मन और मन से तन, 

के गूढ़ को बस गुरु ही जाने ।

बुद्धि के बल मन को साधें, 

चित्त चेतन के सयाने ।

अथक श्रम से रोपते ,

अध्यात्म शिष्योद्यान सारे।

ज्ञान के भंडार गुरुवर, 

पथ प्रदर्शक है हमारे ।


पढ़िए पत्रिका 'अनुभूति' में प्रकाशित मेरी एक और रचना

● बने पकौड़े गरम-गरम




टिप्पणियाँ

  1. वाह्ह... बहुत सुंदर,गुरूजनों के सम्मान में लिखी आपकी रचना मात्र शब्द नहीं हैं वर्तमान समय में छात्रों के लिए सकारात्मक संदेश है।
    बहुत बधाई दी पत्रिका में प्रकाशित रचनाओं के लिए। ऐसे ही सुंदर लिखिए और हमें प्रेरित करते रहिए।
    सस्नेह. प्रणाम दी।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० सितम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सस्नेह आभार प्रिय श्वेता ! सृजन को सार्थकता प्रदान करती टिप्पणी के साथ रचना को मंच प्रदान करने हेतु ।

      हटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर सार्थक और भावप्रवण रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह सुधा जी...क्या खूब ल‍िखा ..अद्भुत

    जवाब देंहटाएं
  4. गुरु जनों के प्रति समर्पित भाव ... कमाल की रचना और बहुत बधाई इस प्रकाशन की ...

    जवाब देंहटाएं
  5. गुरुजनों के सम्मान में हृदय तल को स्पर्श करते श्रद्धापूरित भाव लिए मनविभोर करती लाजवाब रचना सुधा जी ! अनुभूति पत्रिका में सृजन प्रकाशित होने पर आपको हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूबसूरत रचना
    गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं

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