बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी
बढ़े ना अपनी हिंदी ।
भारत की गौरव गरिमा ये,
राष्ट्र भाल की बिंदी ।
बढ़ा मान गौरवान्वित करती,
मन में भरती आशा।
सकल विश्व में हो सम्मानित,
बने राष्ट्र की भाषा ।
गंगा सी पावनी है हिन्दी,
सागर सी गुणग्राही ।
हर भाषा बोली के शब्दों को ,
खुद में है समाई ।
सारी भगिनी भाषाओं को,
लगा गले दुलराती।
तत्सम, तत्भव, देशी , विदेशी,
सबको है अपनाती।
आधे-अधूरे शब्दों का भी,
बन जाती है सहारा ।
सारे भारत में संपर्कित,
भावों की रसधारा।
स्वाभिमान-सद्भाव जगाती,
संस्कृति की परिभाषा।
सर्वमान्य हो सकल जगत में,
यही सबकी अभिलाषा।
विश्वमंच पर गूँजे इक दिन,
हिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी,
यही अरमान हमारा ।
टिप्पणियाँ
हिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी,
यही अरमान हमारा ।
आपकी प्रार्थना के साथ हमारी प्रार्थना भी शामिल है, हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सुधा जी 🙏
हिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी
यही अरमान हमारा ।//
मातृभाषा हिन्दी के प्रति स्नेहिल कामनाओं को संजोती सुन्दर रचना प्रिय सुधा जी।यद्यपि हिन्दी विश्व मंच पर निरंतर विस्तार पा रही है फिर भी यही लगता है कि इसे और उँचाई पर होना चाहिये।इस मधुर रचना के जरिये आपने हर हिन्दी प्रेमी के मन की बात कही है।हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं आपको।
बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका ।
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ सितंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुंदर ।
हिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
यह अरमान हमारे हैं ,
हिंदी प्रेमियों के मन के भाव
इस रचना में उतारे हैं ।
सुंदर रचना ।
हिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी,
यही अरमान हमारा ।
आपको भी हिन्दी दिवस की अनंत शुभकामनाएं।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका 🙏🙏
सराहनीय सृजन।
इस कविता का सबसे सुन्दर सन्देश यह है कि -
हिंदी को और हिंदीभाषियों को, देश की सभी भाषाओँ का सम्मान करते हुए उनसे प्रेम-सम्बन्ध स्थापित करने चाहिए.
हिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी,
यही अरमान हमारा ।
बहुत सुन्दर अभिलाषा.., आपके स्वर के साथ हमारा स्वर भी सम्मिलित है सुधा जी ! अति सुन्दर सृजन ।