बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी
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बढ़े ना अपनी हिंदी ।
भारत की गौरव गरिमा ये,
राष्ट्र भाल की बिंदी ।
बढ़ा मान गौरवान्वित करती,
मन में भरती आशा।
सकल विश्व में हो सम्मानित,
बने राष्ट्र की भाषा ।
गंगा सी पावनी है हिन्दी,
सागर सी गुणग्राही ।
हर भाषा बोली के शब्दों को ,
खुद में है समाई ।
सारी भगिनी भाषाओं को,
लगा गले दुलराती।
तत्सम, तत्भव, देशी , विदेशी,
सबको है अपनाती।
आधे-अधूरे शब्दों का भी,
बन जाती है सहारा ।
सारे भारत में संपर्कित,
भावों की रसधारा।
स्वाभिमान-सद्भाव जगाती,
संस्कृति की परिभाषा।
सर्वमान्य हो सकल जगत में,
यही सबकी अभिलाषा।
विश्वमंच पर गूँजे इक दिन,
हिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी,
यही अरमान हमारा ।
पढ़िए मेरी एक और रचना कुण्डलिया छंद में...
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टिप्पणियाँ
विश्वमंच पर गूँजे इक दिन,
जवाब देंहटाएंहिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी,
यही अरमान हमारा ।
आपकी प्रार्थना के साथ हमारी प्रार्थना भी शामिल है, हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सुधा जी 🙏
जी, कामिनी जी , तहेदिलसे धन्यवाद एवं आभार आपका ।
हटाएंहम सबों का भी यही अरमान है। गौरवान्वित कराती हुई कृति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार अमृता जी !
हटाएंविश्वमंच पर गूँजे इक दिन,
जवाब देंहटाएंहिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी
यही अरमान हमारा ।//
मातृभाषा हिन्दी के प्रति स्नेहिल कामनाओं को संजोती सुन्दर रचना प्रिय सुधा जी।यद्यपि हिन्दी विश्व मंच पर निरंतर विस्तार पा रही है फिर भी यही लगता है कि इसे और उँचाई पर होना चाहिये।इस मधुर रचना के जरिये आपने हर हिन्दी प्रेमी के मन की बात कही है।हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं आपको।
जी रेणु जी !आपको भी हिंदी दिवस की अनंत शुभकामनाएं।
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका ।
हिंदी के प्रति अपने मनोभावों को व्यक्त करती बहुत सुंदर रचना, सुधा दी। हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी !
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ सितंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
'पांच लिंको का आनंद' मंच पर साझा करने के लिए मेरी रचना चयन करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय श्वेता जी !
हटाएंबहुत सुंदर सृजन सुधा जी हमारी राजभाषा को और ऊंचा स्थान मिले आपकी आशावादी सकारात्मकता कविता की हर पंक्ति में झलक रही है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ।
हिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी !
हटाएंआपको भी हिन्दी दिवस की अनंत शुभकामनाएं।
बने राष्ट्रभाषा हिन्दी
जवाब देंहटाएंयह अरमान हमारे हैं ,
हिंदी प्रेमियों के मन के भाव
इस रचना में उतारे हैं ।
सुंदर रचना ।
जी, सुन्दर काव्य पंक्तियां !!
हटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका 🙏🙏
विश्वमंच पर गूँजे इक दिन,
जवाब देंहटाएंहिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी,
यही अरमान हमारा ।
जी ,हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका
हटाएंबहुत ही सुंदर कहा आपने जन-जन के बोल सृजन में समेट लिए।
जवाब देंहटाएंसराहनीय सृजन।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !
हटाएंसुंदर काव्य पंक्तियां
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार मनोज जी !
हटाएंहिंदी के लिए सुंदर सर्वोत्तम भावों से परिपूर्ण उत्कृष्ट रचना । बधाई सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद जिज्ञासा जी !
हटाएंराष्ट्रभाषा हिंदी की ख़ूबियों को उजागर करने वाली एक बहुत ख़ूबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएंइस कविता का सबसे सुन्दर सन्देश यह है कि -
हिंदी को और हिंदीभाषियों को, देश की सभी भाषाओँ का सम्मान करते हुए उनसे प्रेम-सम्बन्ध स्थापित करने चाहिए.
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.सर !
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना सखी
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
हटाएंविश्वमंच पर गूँजे इक दिन,
जवाब देंहटाएंहिंदी का जयकारा ।
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी,
यही अरमान हमारा ।
बहुत सुन्दर अभिलाषा.., आपके स्वर के साथ हमारा स्वर भी सम्मिलित है सुधा जी ! अति सुन्दर सृजन ।
जी, मीनाजी, दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
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