सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात

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  किसको कैसे बोलें बोलों, क्या अपने हालात  सम्भाले ना सम्भल रहे अब,तूफानी जज़्बात मजबूरी वश या भलपन में,सहे जो अत्याचार जख्म हरे हो कहते मन से , करो तो पुनर्विचार तन मन ताने देकर करते साफ-साफ इनकार बोले अब न उठायेंगे,  तेरे पुण्यों का भार तन्हाई भी ताना मारे, कहती छोड़ो साथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात सबकी सुन सुन थक कानों ने भी सुनना है छोड़ा खुद की अनदेखी पे आँखें भी रूठ गई हैं थोड़ा ज़ुबां लड़खड़ा के बोली अब मेरा भी क्या काम चुप्पी साधे सब सह के तुम कर लो जग में नाम चिपके बैठे पैर हैं देखो, जुड़ के ऐंठे हाथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात रूह भी रहम की भीख माँगती, दबी पुण्य के बोझ पुण्य भला क्यों बोझ हुआ,गर खोज सको तो खोज खुद की अनदेखी है यारों, पापों का भी पाप ! तन उपहार मिला है प्रभु से, इसे सहेजो आप ! खुद के लिए खड़े हों पहले, मन मंदिर साक्षात सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात ।।

"नववर्ष मंगलमय हो"


                  नववर्ष के शुभ आगमन पर,
                  शुभकामनाएं हैं हमारी।
                  मंगलमय जीवन हो सबका,
                  प्रेममय दुनिया हो सारी।
                  हवा सुखमय मधुर महके,
                  हरितिमा अपनी धरा हो।
                  खुशनुमा  आकाश अपना,
                  स्वर्ग सा संसार हो।
                  नववर्ष ऐसा मंगलमय हो।
        
                 आशाओं के अबुझ दीपक,
                 अब जले हर इक सदन में।
                 उम्मीदों की किरण लेकर, 
                 रवि आना तुम प्रत्येक मन में।
                 ज्योतिर्मय हर -इक भुवन हो
                 नववर्ष ऐसा मंगलमय हो।
     
                 मनोबल यों उठे ऊँचा,
                अडिग विश्वास हो मन में।
                अंत:करण प्रकाशित हो सबका,
                ऊर्ध्वमुखी जीवन हो।
                 सुप्त देवत्व  जगे मनुज का,
                 देवशक्ति प्रबल हो,
                 नववर्ष ऐसा मंगलमय हो।
  
                अनीति मुँह छिपा जाए,
                प्रबलता नीति में आये।
                श्रेष्ठ चिन्तन आचरण से,
                विश्व की गरिमा बढाएं,
                गरिमामय जग हो
                नववर्ष मंगलमय हो।



टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना सोमवार. 20 दिसंबर 2021 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी! मेरी रचना को पाँच लिंको का आनंद मंच पर स्थान देने हेतु।

      हटाएं
  2. नववर्ष मंगलमय हो
    व्यथा क्लेश छय हो
    नवभोर नयनों में खिले
    खुशियाँ ही अक्षय हो
    -----
    अति सुंदर सकारात्मकता से भरी और भावपूर्ण अभिव्यक्ति सुधा जी।

    सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अत्यंत आभार एवं धन्यवाद प्रिय श्वेता जी!

      हटाएं
  3. नववर्ष पर उत्तम अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर मंगलकारी भावनाएं सकल विश्व के लिए ।
    बहुत सुंदर पोस्ट सुधाजी आज ऐसी ही मंगल मनोकामनाओं की आवश्यकता है,जो फलिभूत हो।
    सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  5. नववर्ष मंगलमय हो, संपूर्ण जगत में शांति और सुरक्षा हो, बहुत सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. मनोबल यों उठे ऊँचा,
    अडिग विश्वास हो मन में।
    अंत:करण प्रकाशित हो सबका,
    ऊर्ध्वमुखी जीवन हो।
    "सुप्त देवत्व" जगे मनुज का,
    देवशक्ति प्रबल हो,
    नववर्ष ऐसा मंगलमय हो।
    बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति प्रिय सुधा जी सभी जगह मंगल हो तभी नववर्ष मग्ल्कारी हो सकता है | आपकी प्रार्थना में एक स्वर मेरा भी | हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई | नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी! रेणु जी अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  7. बहुत ही खूबसूरत व शानदार रचना!
    आभार...

    जवाब देंहटाएं
  8. नववर्ष की सुभकामनाएं | सुन्दर रचना |

    जवाब देंहटाएं

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