रिमझिम रिमझिम बरखा आई

चित्र
         चौपाई छंद रिमझिम रिमझिम बरखा आई । धरती पर हरियाली छायी ।। आतप से अब राहत पायी । पुलकित हो धरती मुस्काई ।। खेतों में फसलें लहराती । पावस सबके मन को भाती ।। भक्ति भाव में सब नर नारी । पूजें शिव शंकर त्रिपुरारी ।। सावन में शिव वंदन करते । भोले कष्ट सभी के हरते ।। बिल्वपत्र घृत दूध चढ़ाते । दान भक्ति से पुण्य कमाते ।। काँवड़ ले काँवड़िये जाते । गंंगाजल सावन में लाते ।। बम बम भोले का जयकारा । अंतस में करता उजियारा ।। नारी सज धज तीज मनाती । कजरी लोकगीत हैं गाती ।। धरती ओढ़े चूनर धानी । सावन रिमझिम बरसे पानी ।। हार्दिक अभिनंदन आपका🙏🙏 पढिए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर ● पावस में इस बार

बधाई शुभकामनाएं

 

Notebook


आओ लौटें ब्लॉग पर, लेखन सुलेख कर

एक दूसरे से फिर, वही मेल भाव हो ।


पंच लिंक का आनंद,मंच सजे सआनंद

हर एक लिंक सार, पढ़ने का चाव हो ।


सम्मानित चर्चाकार, सम्भालें हैं कार्यभार

स्थापना दिवस आज, पूरा हर ख़्वाव हो ।


शुभकामना अनेक, मंच फले अतिरेक

ऐसे नेक कार्य हेतु, मन से लगाव हो ।


पंच लिंक की चौपाल, सजे यूँ ही सालों साल

बधाई शुभकामना, शुद्ध मन भाव हो ।



मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर 👇

ब्लॉग से मुलाकात.. बहुत समय के बाद 








टिप्पणियाँ

  1. आहा दी क्या खूब आह्वान किया है आपने बहुत सुंदर बधाई संदेश लिखा है... बहुत बहुत बहुत आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी नमस्ते,
      आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ जून २०२५ के लिए साझा की गयी है
      पांच लिंकों का आनंद पर...
      आप भी सादर आमंत्रित हैं।
      सादर
      धन्यवाद।

      हटाएं
  2. बहुत ही सुंदर आह्वान संदेश

    जवाब देंहटाएं
  3. सम्मानित चर्चाकार, सम्भालें हैं कार्यभार । वाह ! बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात

बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला

आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं