रिमझिम रिमझिम बरखा आई

चौपाई छंद रिमझिम रिमझिम बरखा आई । धरती पर हरियाली छायी ।। आतप से अब राहत पायी । पुलकित हो धरती मुस्काई ।। खेतों में फसलें लहराती । पावस सबके मन को भाती ।। भक्ति भाव में सब नर नारी । पूजें शिव शंकर त्रिपुरारी ।। सावन में शिव वंदन करते । भोले कष्ट सभी के हरते ।। बिल्वपत्र घृत दूध चढ़ाते । दान भक्ति से पुण्य कमाते ।। काँवड़ ले काँवड़िये जाते । गंंगाजल सावन में लाते ।। बम बम भोले का जयकारा । अंतस में करता उजियारा ।। नारी सज धज तीज मनाती । कजरी लोकगीत हैं गाती ।। धरती ओढ़े चूनर धानी । सावन रिमझिम बरसे पानी ।। हार्दिक अभिनंदन आपका🙏🙏 पढिए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर ● पावस में इस बार
आहा दी क्या खूब आह्वान किया है आपने बहुत सुंदर बधाई संदेश लिखा है... बहुत बहुत बहुत आभार 🙏
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
हटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ जून २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुंदर शुभकामना संदेश
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर आह्वान संदेश
जवाब देंहटाएंसम्मानित चर्चाकार, सम्भालें हैं कार्यभार । वाह ! बहुत सुन्दर
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