बीती ताहि बिसार दे

स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं। पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं । परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे । ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 22 मई 2023 को साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु।
हटाएंबहुत बढ़िया भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजी, हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।🙏🙏
हटाएंआगे बढ़ता देख लोगों को खुशी के बजाय ईर्ष्या होती है , लेकिन जो संघर्ष कर सकता है उसे फर्क नहीं पड़ता ।
जवाब देंहटाएंयथार्थ को कहती सुंदर रचना ।
जी, तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।🙏🙏
हटाएंवाह!सुधा जी ,खूबसूरत सृजन।
जवाब देंहटाएंकाँटों में चल के तमस से निकल के
जवाब देंहटाएंरस्ते बनाये हर विघ्नों से लड़ के
पहचान खुद से नयी जब बनी तो
मिल बाँट खुशियाँ मनाने चले
उठे वे तो जबरन गिराने चले ।।
.. मन की बात लिख दी सखी।
कुछ लोग हराने के लिए साथ देते हैं और जीतते ही झंडाबरदार बनकर सबसे आगे कूदते है।
यथार्थपरक गीत के लिए बहुत बधाई मित्र।
सुधाजी, हमारे नेताओं को आपने ख़ूब पहचाना !
जवाब देंहटाएंमसलना और कुचलना ही उनकी आदत है, नफ़रत और हसद ही उनकी फ़ितरत है.
वाह! बहुत बढ़िया!!
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जवाब देंहटाएंदर-दर की ठोकर से मजबूत होकर
चले राह अपनी सभी आस खोकर
हर छाँव सर से उनकी गिराकर
राहों में काँटे बिछाने चले
उठे वे तो जबरन गिराने चले ।।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
हौसलों की दृढता जब ऊंचाइयों को उड़ान देती है .. ऊपर देखने वालों की कतार लग जाती है .
हटाएंलगता है मानो, दुनिया का दस्तूर यही होता जा रहा,
जवाब देंहटाएंदूसरों को गिराकर आगे बढ़ने की।
यथार्थ को बयां करती सुंदर रचना।