उत्तराखंड में मधुमास - दोहे
नवपल्लव से तरु सजे, झड़़े पुराने पात ।
महकी मधुर बयार है, सुरभित हुआ प्रभात ।।
पुष्पों की मुस्कान से, महक रही भिनसार ।
कली-कली पे डोलके, भ्रमर करे गुंजार ।।
भौरे गुनगुन गा रहे , स्नेह भरे अब गीत ।
प्रकृति हमें समझा रही ,परिवर्तन की रीत ।।
आम्र बौंर पिक झूमता , कोकिल कूके डाल ।
बहती बासंती हवा टेसू झरते लाल ।।
गेहूँ बाली हिल रही, पुरवाई के संग ।
पीली सरसों खिल रही, चहुँदिशि बिखरे रंग ।।
पिघली बर्फ़ पहाड़ की, खिलने लगे बुरांस ।
सिंदूरी सेमल खिले, फ्यूंली फूली खास ।।
श्वेत पुष्प से लद रहे, हैं मेहल के पेड़ ।
पंछी घर लौटन लगे, शहर प्रवास नबेड़ ।।
बन-बन हैं मन मोहते, महके जब ग्वीराल ।
थड़िया-चौंफला गीत सु, गूँज उठी चौपाल ।।
बेडू तिमला फल पके, पके हिंसर किनगोड़ ।
काफल, मेलू भी पके, लगती सबमें होड़ ।।
हरियाली चौखट लगी, सजे फूल दहलीज ।
फूलदेइ त्यौहार में, हर मन हुआ बहीज ।।
जीवन मधुमय हो गया , मन में है उल्लास ।
प्रकृति खुशी से झूमती,आया जब मधुमास ।।
भिनसार=सुबह
नबेड़=निपटाकर)
बहीज=आनंदित)
इसके अलावा उत्तराखंड के पर्व , लोकगीत-नृत्य और फल एवं फूलों के वृक्ष आदि का रचना में जिक्र जिनका है उनके विषय में संक्षिप्त जानकारी निम्न है ।
बुरांस, सेमल,फ्यूंली, मेहल, ग्वीराल आदि सुंदर फूलों वाले वृक्ष हैं जो उत्तराखंड के पहाड़ों पर बसंत ऋतु में खिलते हैं । बुरांस फूल जिसके सुंदर रंग रूप एवं औषधीय गुणों के कारण इसे राष्ट्रीय पुष्प भी घोषित किया गया है ।
थड़िया-चौंफला - ये उत्तराखंड के विशेष लोकगीत-नृत्य हैं , जिनका आयोजन बसंत पंचमी के दौरान किया जाता है । जब रातें लम्बी होती हैं तो मनोरंजन के लिए गाँव के लोग मिलकर थड़िया और चौंफला का आयोजन करते हैं ।
बेडू, तिमला, हिंसर किनगोड़, मेलू, काफल आदि बहुत से फल इस मौसम में पहाड़ों पर पकने शुरु होते हैं ।
फूलदेई त्योहार - फूलदेई पर्व उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्व है । इस पर्व को मुख्यतः बच्चे मनाते हैं इसलिए इसे लोक बाल पर्व भी कहा जाता है । चैत्र मास की प्रथम तिथि यानी 14 या 15 तारीख को जिस दिन हिन्दू नव वर्ष का प्रथम दिन होता है उसी दिन से शुरू होता है ये फूलदेई पर्व।
इस पर्व में गाँव के छोटे बच्चे पूरे चैत मास सुबह-सुबह सबके घरों की चौखट पर जौ की हरियाली टाँगते हैं एवं देहलीज पर फूल बिखेरते हैं । और बड़े उन्हें खाने-पीने की वस्तुएं एवं उपहार आदि भेंट देते हैं ।
पढिए बसंत ऋतु के आगमन पर आधारित गीत
बहुत ही अच्छे अर्थपूर्ण दोहे. आपको होली मुबारक हो. हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. सर !
हटाएंआपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
भौरे गुनगुन गा रहे , स्नेह भरे अब गीत ।
जवाब देंहटाएंप्रकृति हमें समझा रही ,परिवर्तन की रीत ।।
बहुत ही सुंदर सृजन और साथ ही उत्तराखंड के फल,फूल और त्योहारों का परिचय पाकर आनंद आ गया सुधा जी
होली की हार्दिक शुभकामनायें
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !
हटाएंहोली की बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको ।
आदरणीया मैम, सादर प्रणाम। आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ। आपकी यह कसर इतनी सुंदर है कि मुझे लगा यह कविता पढ़ते पढ़ते मैं भी उत्तराखण्ड घूम आयी। प्रकृति का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है आपने। पुनः प्रणाम।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनंता !
हटाएंहोली की असीम शुभकामनाएं आपको ।
आपकी लिखी रचना सोमवार 6 मार्च 2023 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ. संगीता जी ! मेरी रचना अपने विशेषांक मे चयन करने हेतु ।
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएं आपको ।
जीवन मधुमय हो गया , मन में है उल्लास ।
जवाब देंहटाएंप्रकृति खुशी से झूमती,आया जब मधुमास ।।
फागुन के सुंदर आयामों से सजे सुंदर रंगबिरंगे और सारगर्भित दोहे! होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार सखी !
हटाएंआपको भी होली की अनंत शुभकामनाएं ।
बेडू तिमला फल पके, पके हिंसर किनगोड़ ।
जवाब देंहटाएंकाफल, मेलू भी पके, लगती सबमें होड़ ।।उत्तराखंड की प्राकृतिक सुषमा को समाहित किये अत्यंत सुन्दर दोहे ।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार मीनाजी !
हटाएंहोली की अनंत शुभकामनाएं आपको ।
अहा!सुधाजी काव्य रस से सराबोर श्र्लाघनीय अभिव्यक्ति, सुंदर प्रकृति ज्यों शब्दों में उतर आई ।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम प्रस्तुति।
रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी !
हटाएंआपको भी रंगोत्सव की अनंत शुभकामनाएं ।
सुन्दर, अर्थपूर्ण दोहे.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति। होली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंरंगपर्व की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुन्दर प्रस्तुति,मानों जैसेपूरे उत्तराखंड की रीति, रिवाज, फल, फूल एवम वहां की सांस्कृतिक विरासत की मनमोहक झांकियों की बयार एकाएक खुशबु लिए आंखों के सामने तैरने लगे गई। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंजीवन मधुमय हो गया , मन में है उल्लास ।
जवाब देंहटाएंप्रकृति खुशी से झूमती,आया जब मधुमास ।।
बहुत सुन्दर दोहे👏👏👏
प्रकृति का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है आपने, सुधा दी। सभी दोहे गजब के है।
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