मंगलवार, 9 नवंबर 2021

तमस राज अपना फैला रहा है

 

Dark night
                चित्र साभार pixabay.com से


दिवाली गयी अब दिये बुझ गये सब

वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है...

अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है

तमस राज अपना फैला रहा है

अमा के तमस से सहमा सा जुगनू

टिम-टिम चमकने में कतरा रहा है

दिवाली गयी अब दिये बुझ गये सब

वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है....।


कितनी अयोध्या जगमग सजी हैं

पर ना कहीं कोई राम आ रहा है

कष्टों के बादल कहर ढ़ा रहे हैं 

पर्वत उठाने ना श्याम आ रहा है

दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब

वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है।

अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है

तमस राज अपना फैला रहा है.....।


कहीं साँस लेना भी मुश्किल हुआ है

सियासत का कोहरा गहरा रहा है

करेंगे तो अपनी ही मन की सभी

पर ढ़ीला हुकूमत का पहरा रहा है

दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब

वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है

अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है

तमस राज अपना फैला रहा है.....।


बने मुफ्तभोगी सत्ता के लोभी

हराकर मनुज को दनुज जी रहा है

निष्कर्म जीवन चुना स्वार्थी मन

पकड़ रोशनी के वो पंख सी रहा है

दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब 

वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है

अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है

तमस राज अपना फैला रहा है......।




28 टिप्‍पणियां:

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आ.आलोक जी!

Meena Bhardwaj ने कहा…

अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है

तमस राज अपना फैला रहा है

अमा के तमस से सहमा सा जुगनू
टिम-टिम चमकने में कतरा रहा है
दिवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है....।
गहन भावाभिव्यक्ति। हृदयस्पर्शी सृजन ।

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

कटु सत्य को उजागर करती आपकी यह कविता मुझे झकझोर गई सुधा जी। सत्य से ओतप्रोत ऐसी कविताएं करने के लिए भी नैतिक साहस चाहिए जो किसी-किसी में ही होता है। नमन आपकी लेखनी को।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद मीना जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

उत्साहवर्धन हेतु तहेदिल से धन्यवाद आ.जितेन्द्र जी!
सादर आभार।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(११-११-२०२१) को
'अंतर्ध्वनि'(चर्चा अंक-४२४५)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद प्रिय अनीता जी मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु।
सस्नेह आभार।

MANOJ KAYAL ने कहा…

बहुत सुन्दर

Manisha Goswami ने कहा…

अमा के तमस से सहमा सा जुगनू
टिम-टिम चमकने में कतरा रहा है
बहुत ही सुंदर व बेहतरीन रचना

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

मन की वीणा ने कहा…

यथार्थ पर गहनता से प्रहार है ये रचना बहुत सुंदर सृजन सुधा जी सत्य और सत्य के आस पास।
हराकर मनुज को दनुज जी रहा है
निष्कर्म जीवन चुना स्वार्थी मन
पकड़ रोशनी के वो पंख सी रहा है।
सटीक !
अभिनव रचना।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद मनोज जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद मनीषा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी!आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हमेशा उत्साह द्विगुणित करती हैं
सादर आभार।

उर्मिला सिंह ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन

शारदा अरोरा ने कहा…

impressive likha hai

रेणु ने कहा…

जीवन के अल्प उत्सव के बाद वही समय फिर से लौट आता है। क्षणिक उजालों के बाद निर्मोही अंधेरे का राज दीर्घकालीन और प्राय स्थायी सा अनुभव होता है। सार्थक चिन्तन को प्रेरित करतीं भावपूर्ण रचना प्रिय सुधा जी। बस यहीं दुआ है अंधेरे के साम्राज्य पर विजय प्राप्त कर उजालों की कीर्ति अमर हो।

रेणु ने कहा…

कितनी अयोध्या जगमग सजी हैं
पर ना कहीं कोई राम आ रहा है
कष्टों के बादल कहर ढ़ा रहे हैं
पर्वत उठाने ना श्याम आ रहा है
दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है।
अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है
तमस राज अपना फैला रहा है.....।👌👌👌❤️❤️🌷🌷

Sudha Devrani ने कहा…

सारगर्भित एवं अनमोल प्रतिक्रिया द्वारा रचना का मर्म स्पष्ट करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी!

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत आभार आपका।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

सुंदर सार्थक रचना ।

Bharti Das ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सृजन 👌

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

वाह सुधा जी बेहतरीन प्रस्तुति

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.भारती जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद रितु जी!

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