आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं

चित्र
  आओ बच्चों ! अबकी बारी  होली अलग मनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । ऊँच नीच का भेद भुला हम टोली संग उन्हें भी लें मित्र बनाकर उनसे खेलें रंग गुलाल उन्हें भी दें  छुप-छुप कातर झाँक रहे जो साथ उन्हें भी मिलाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पिचकारी की बौछारों संग सब ओर उमंगें छायी हैं खुशियों के रंगों से रंगी यें प्रेम तरंगे भायी हैं। ढ़ोल मंजीरे की तानों संग  सबको साथ नचाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । आज रंगों में रंगकर बच्चों हो जायें सब एक समान भेदभाव को सहज मिटाता रंगो का यह मंगलगान मन की कड़वाहट को भूलें मिलकर खुशी मनाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । गुझिया मठरी चिप्स पकौड़े पीयें साथ मे ठंडाई होली पर्व सिखाता हमको सदा जीतती अच्छाई राग-द्वेष, मद-मत्सर छोड़े नेकी अब अपनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पढ़िए  एक और रचना इसी ब्लॉग पर ●  बच्चों के मन से

हायकु

crow drinking water from tap

1.

जेष्ठ मध्याह्न~

नल पे बैठ काग

पीता सलिल


2.

रसोईघर~

फूलगोभी के मध्य

भुजंग शिशु


3.

धान रोपाई~

चहबच्चा में तैरे

मृत बालक

4.

शरद भोर~

चूनर ओढे़ बालक

कन्या पंक्ति में


5.

श्वान चीत्कार~

सड़क पे बिखरा

रुधिर माँस


6.

शरद भोर~

बादलों में निर्मित

बिल्ली छवि







टिप्पणियाँ

  1. वाह!सुधा जी ,बहुत सुंदर हायकु सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन और लाजवाब हाइकु सुधा जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!लाजवाब हाइकु दी।
    सभी सराहनीय

    शरद भोर~

    बादलों के ऊपर

    बैठी बिल्ली..वाह!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर हायकू, सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 26 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आत्मिक आभार एवं धन्यवाद,आ.यशोदा जी! मेरी रचना को ब्लॉग "पाँच लिंको का आनंद में साझा करने हेतु...।

      हटाएं
  6. शरद भोर~

    बादलों के ऊपर

    बैठी बिल्ली

    वाह! सुंदर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  7. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी!

    जवाब देंहटाएं
  8. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२८-११-२०२०) को 'दर्पण दर्शन'(चर्चा अंक- ३८९९ ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु।

      हटाएं
  9. बिंब समीपता सुन्दर बन पड़ा है । बहुत सुंदर ।

    जवाब देंहटाएं
  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर। बहुत खूब। आपको बधाई। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  12. लाजवाब अभिव्यक्ति...
    सुंदर हायकू...

    जवाब देंहटाएं
  13. शरद भोर~

    बादलों के ऊपर

    बैठी बिल्ली
    ये विशेष अच्छा लगा। वैसे सारे हायकू अच्छे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुंदर सृजन सुधा जी ।
    सुंदर हाइकु,प्रकृतिक बिंबों के साथ।

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही सुन्दर हैं सभी हाइकू ...
    कुछ शब्दों में दूर की गहरी बात समेट ली है आपने ... बहुत सुन्दर ...

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला

तन में मन है या मन में तन ?

मन की उलझनें