दोहे - सावन में शिव भक्ति

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              ■  सावन आया सावन मास है , मंदिर लगी कतार । भक्त डूबते भक्ति में, गूँज रही जयकार ।। लिंग रूप भगवान का, पूजन करते भक्त । कर दर्शन शिवलिंग के,  हुआ हृदय अनुरक्त । ओघड़दानी देव शिव, बाबा भोलेनाथ । जपें नाम सब आपका, जोड़े दोनों हाथ ।। करो कृपा मुझ दीन पर, हे शिव गौरीनाथ । हर लो दुख संताप प्रभु, सर पर रख दो हाथ ।। बम बम भोले बोलकर, भक्त करें जयकार । विधिवत व्रत पूजन करें, मिलती खुशी अपार ।।                      ■   काँवड काँधे में काँवड सजे, होंठों मे शिव नाम । शिव शंकर की भक्ति से, बनते बिगड़े काम ।। काँवड़िया काँवड़ लिये, चलते नंगे पाँव । बम बम के जयघोष से,  गूँज रहे हैं गाँव ।। काँधे पर काँवड़ लिये, भक्त चले हरिद्वार । काँवड़ गंगाजल भरे, चले शंभु के द्वार  ।। काँवड़िया काँवड़ लिए , गाते शिव के गीत । जीवन उनका धन्य है, शिव से जिनको प्रीत ।। सादर अभिनंदन🙏🙏 पढ़िये भगवान शिव पर आधारित कुण्डलिया छंद निम्न लिंक पर ●  हरते सबके कष्ट सदाशिव भोले शंकर

हायकु

crow drinking water from tap

1.

जेष्ठ मध्याह्न~

नल पे बैठ काग

पीता सलिल


2.

रसोईघर~

फूलगोभी के मध्य

भुजंग शिशु


3.

धान रोपाई~

चहबच्चा में तैरे

मृत बालक

4.

शरद भोर~

चूनर ओढे़ बालक

कन्या पंक्ति में


5.

श्वान चीत्कार~

सड़क पे बिखरा

रुधिर माँस


6.

शरद भोर~

बादलों में निर्मित

बिल्ली छवि







टिप्पणियाँ

  1. वाह!सुधा जी ,बहुत सुंदर हायकु सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन और लाजवाब हाइकु सुधा जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!लाजवाब हाइकु दी।
    सभी सराहनीय

    शरद भोर~

    बादलों के ऊपर

    बैठी बिल्ली..वाह!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर हायकू, सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 26 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आत्मिक आभार एवं धन्यवाद,आ.यशोदा जी! मेरी रचना को ब्लॉग "पाँच लिंको का आनंद में साझा करने हेतु...।

      हटाएं
  6. शरद भोर~

    बादलों के ऊपर

    बैठी बिल्ली

    वाह! सुंदर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  7. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी!

    जवाब देंहटाएं
  8. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२८-११-२०२०) को 'दर्पण दर्शन'(चर्चा अंक- ३८९९ ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु।

      हटाएं
  9. बिंब समीपता सुन्दर बन पड़ा है । बहुत सुंदर ।

    जवाब देंहटाएं
  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर। बहुत खूब। आपको बधाई। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  12. लाजवाब अभिव्यक्ति...
    सुंदर हायकू...

    जवाब देंहटाएं
  13. शरद भोर~

    बादलों के ऊपर

    बैठी बिल्ली
    ये विशेष अच्छा लगा। वैसे सारे हायकू अच्छे हैं।

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  14. बहुत सुंदर सृजन सुधा जी ।
    सुंदर हाइकु,प्रकृतिक बिंबों के साथ।

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही सुन्दर हैं सभी हाइकू ...
    कुछ शब्दों में दूर की गहरी बात समेट ली है आपने ... बहुत सुन्दर ...

    जवाब देंहटाएं

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