शनिवार, 5 सितंबर 2020

मेरे ऐक्वेरियम की वो नन्हींं फिश...

 

little golden fish

मेरे ऐक्वेरियम की वो नन्हींं फिश

देखो जीना हमें है सिखा रही

है बंधी फिर भी उन्मुक्त सोच से

काँच घर  को समन्दर बना रही


मेरे ऐक्वेरियम की वो नन्हींं फिश

देखो जीना हमें है सिखा रही


जब वो आयी तो थोड़ा उदास थी

बहुत प्यारी थी अपने में खास थी

जल्द हिलमिल गयी बदले परिवेश में

हर हालात मन से अपना रही


मेरे ऐक्वेरियम की वो नन्हीं फिश

देखो जीना हमें है सिखा रही


दाने दाने की जब वो मोहताज है

 खुद पे फिर भी उसे इतना नाज है

है विधाता की अनुपम सी कृति वो

मूल्यांकन स्वयं का सिखा रही


मेरे ऐक्वेरियम की वो नन्हींं फिश

देखो जीना हमें है सिखा रही।

     

                   चित्र साभार गूगल से...

41 टिप्‍पणियां:

Meena Bhardwaj ने कहा…

मेरे ऐक्वेरियम की वो नन्हींं फिश
देखो जीना हमें है सिखा रही।
बहुत बड़ी सीख लिए बहुत सुन्दर रचना ।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ. यशोदा जी!
मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन के मंच पर साझा करने हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद मीना जी!
सस्नेह आभार आपका।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी,यदि इंसान सीखना चाहे तो प्रकृति से बहुत कुछ सीख सकता है। बस वैसी दृष्टि चाहिए। और आपकी दृष्टि के तो कहने ही क्या?

Sudha Devrani ने कहा…

सही कहा ज्योति जी प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखा देती है .....
सुन्दर सराहनीय अनमोल प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सृजन

hindiguru ने कहा…

जीवन मंत्र सिखाती कविता

अनीता सैनी ने कहा…

वाह !बहुत ही सुंदर सृजन दी सराहना से परे।
सादर

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार ( 7 सितंबर 2020) को 'ख़ुद आज़ाद होकर कर रहा सारे जहां में चहल-क़दमी' (चर्चा अंक 3817) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
-रवीन्द्र सिंह यादव

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. जोशी जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद राकेश जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ओंकार जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद एवं आभार अनीता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ. रविन्द्र जी मेरी रचना चर्चा मंच पर साझा करने हेतु।

Madhulika Patel ने कहा…

मेरे ऐक्वेरियम की वो नन्हींं फिश

देखो जीना हमें है सिखा रही

है बंधी फिर भी उन्मुक्त सोच से

काँच घर को समन्दर बना ,,,,,,,,,,, बहुत सुंदर रचना,

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

बहुत अच्छी रचना सुधा जी । सचमुच ही हम एक्वेरियम की मछली से सीख सकते हैं कि बदलते हालात में कैसे जीना चाहिए ।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद मधुलिका जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ. जितेंद्र जी!
सादर आभार आपका।

Meena sharma ने कहा…

क्या बात है ! एकदम मौलिक और सुंदर सरल रचना।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मीना जी!

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन सुधा जी ,सच आँख खोल कर देखें तो हर शय हर प्राणी हमें कुछ शिक्षा देता है बस लेने वाले की ग्राह्यता चहिए ।
सरल सहज भाव प्रवाह ।

Anuradha chauhan ने कहा…

बेहतरीन रचना सखी।

Kamini Sinha ने कहा…

मेरे ऐक्वेरियम की वो नन्हींं फिश
देखो जीना हमें है सिखा रही
है बंधी फिर भी उन्मुक्त सोच से
काँच घर को समन्दर बना रही
जो है,जितना है उसी में जीने की सीख दे रही है। बहुत ही सुंदर भाव लिए बेहतरीन रचना,सादर नमन सुधा जी

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना.

Sudha Devrani ने कहा…

जी कुसुम जी!हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका उत्साह वर्धन हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ. कामिनी जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद डॉ.जेन्नी शबनम जी!
सादर आभार।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

बहुत सुंदर

विशाल चर्चित (Vishal Charchit) ने कहा…

एक सकारात्मक - एक सुन्दर सोचवाली रचना...

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार एवं धन्यवाद भाई!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार एवं धन्यवाद, विशाल जी!
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

Satish Rohatgi ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Satish Rohatgi ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Satish Rohatgi ने कहा…

सरल और सुंदर रचना

Satish Rohatgi ने कहा…

सरल और सुंदर रचना

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण कोमल रचना ...
जीवन क्या है ... कैसा है और कैसे जीना चाहिए सब को सिखा जाती है ... एक नन्ही सी जान ...
शांत सरल सौम्य मछली का जीवन ...
सुंदर रचना ....

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार रस्तोगी जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद नासवा जी!आपकी प्रतिक्रिया हमेशा उत्साहवर्धन करती है।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आदरणीय।

Satish Rohatgi ने कहा…

बहुत सुंदर रचना है।

मैंने भी स्ट्रीटडॉग्स पर एक कविता लिखी है।एक पढ़ें ।मेरा विश्वास है आपको भावुक कर देगी।पसन्द आये तो फॉलो कमेंट करके उत्साह वर्धन करे

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार सतीश जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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