रिमझिम रिमझिम बरखा आई

चौपाई छंद रिमझिम रिमझिम बरखा आई । धरती पर हरियाली छायी ।। आतप से अब राहत पायी । पुलकित हो धरती मुस्काई ।। खेतों में फसलें लहराती । पावस सबके मन को भाती ।। भक्ति भाव में सब नर नारी । पूजें शिव शंकर त्रिपुरारी ।। सावन में शिव वंदन करते । भोले कष्ट सभी के हरते ।। बिल्वपत्र घृत दूध चढ़ाते । दान भक्ति से पुण्य कमाते ।। काँवड़ ले काँवड़िये जाते । गंंगाजल सावन में लाते ।। बम बम भोले का जयकारा । अंतस में करता उजियारा ।। नारी सज धज तीज मनाती । कजरी लोकगीत हैं गाती ।। धरती ओढ़े चूनर धानी । सावन रिमझिम बरसे पानी ।। हार्दिक अभिनंदन आपका🙏🙏 पढिए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर ● पावस में इस बार
सभी हायकु बहुत बढ़िया है,सुधा दी।
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद ज्योति जी!उत्साहवर्धन हेतु।
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 29 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी!यशोदा जी तहेदिल से धन्यवाद आपका।
हटाएंसादर आभार।
लाजवाब हाइकु । विविधताओं से परिपूर्ण । अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु अत्यंत आभार एवं धन्यवाद मीना जी!
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद आ. जोशी जी!
हटाएंसटीक हाइकू...वाह सुधा जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद अलकनंदा जी!
हटाएंसादर आभार।
सुंदर हाइकु.....
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद विकास जी!
हटाएंबाखूबी हाथ आजमाया है इस हाइकू की विधा में भी आपने ... स्पष्ट, तीखे, सामयिक और लाजवाब हैं सभी ...
जवाब देंहटाएंऐसे ही लिखती रहे ... मेरी बहुत बहुत शुभकामनायें ...
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ आ.नासवा जी!
हटाएंहार्दिक धन्यवाद एवन आभार आपका।
लॉक डाउन का सामयिक चित्रण।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद सर!
हटाएंसादर आभार।